नौकरियां निगल रही खिलाडिय़ों की प्रतिभा : नेहा

रायपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर आधारित फिल्म 'माहीÓ तो आप सभी ने देखी होगी। माही का दर्द देशभर के खिलाड़ी झेल रहे हैं। उनकी जिंदगी खेल मैदान की जगह कागजों में उलझ गई हैं। केंद्रीय बोर्ड के अलग-अलग विभागों में काम कर रहे खिलाडिय़ों के खेलने के लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं है। इसकी वजह से खिलाड़ी खुद की प्रतिभा से कंप्रोमाइज कर रहे हैं। रायपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर आधारित फिल्म ‘माही’ तो आप सभी ने देखी होगी। माही का दर्द देशभर के खिलाड़ी झेल रहे हैं। उनकी जिंदगी खेल मैदान की जगह कागजों में उलझ गई हैं। केंद्रीय बोर्ड के अलग-अलग विभागों में काम कर रहे खिलाडिय़ों के खेलने के लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं है। इसकी वजह से खिलाड़ी खुद की प्रतिभा से कंप्रोमाइज कर रहे हैं। यह बात भारतीय रैंकिंग की नंबर एक खिलाड़ी नेहा पंडित ने कही। नेहा पंडित पुणे में आयकर विभाग में पदस्थ हैं। रायपुर के इनडोर स्टेडियम में आयोजित ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस बैडमिंटन प्रतियोगिता में नेहा हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने कहा कि इस ओर सरकार को सोचना होगा और देशभर के बेहतर खिलाडिय़ों का फायदा उठाना होगा।
प्रत्येक विभाग में 5 फीसद ही खिलाड़ी कोटे में भर्ती होती है। नेहा ने कहा कि देश में जितने भी खिलाड़ी हैं, सभी की स्थिति एक जैसी फिल्म माही की तरह है। अगर कोई खिलाड़ी गेम में आगे बढऩा चाहता है तो उसे जॉब छोडऩी होगी। जिस तरह से धोनी को करना पड़ा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कई ऑफिसर्स ऐसे भी हैं, जो खिलाडिय़ों को आगे बढऩे का मौका देते हैं।
जिससे बनी पहचान…
इनडोर स्टेडियम में मुंबई समेत अन्य जगह से आए खिलाडिय़ों ने कहा कि उनकी पहचान खेल से हुई, लेकिन अब ऐसे ही खोने को मजबूर हैं। सरकार को खिलाडिय़ों की ओर ध्यान देना होगा। अलग-अलग विभाग के खिलाडिय़ों को कोच के रूप में कहीं चुना जाए, जिसका फायदा भी दूसरे खिलाडिय़ों को मिल सके।
खिलाडिय़ों पर काम का कितना दबाव रहता है, यह टूर्नामेंट में खिलाडिय़ों की उपस्थिति से पता किया जा सकता है। सिविल सर्विसेस टूर्नामेंट में कई खिलाड़ी मार्च महीने में क्लोजिंग की वजह से नहीं आ पाए हैं। कई ऐसे खिलाड़ी आए, जिन्हें ऑफिस से अब तक अनुमति नहीं मिली है।
नेहा ने बताया कि उनकी मां शशि पंडित बास्केटबॉल प्लेयर रही हैं। उन्हें देखकर ही वे गेम की ओर आगे बढ़ी। नेहा ने बताया कि उनकी मां चाहती थीं कि इंडीविजुअल गेम खेलूं। जिसकी वजह से बैडमिंटन चुना। 8 साल की उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था। 2009 में स्पेन में आयोजित इंटरनेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में प्रथम स्थान था जो सबसे बड़ी उपलब्ध रही। इसके बाद सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में दूसरा स्थान रहा।
स्टेडियम का सदुपयोग करें
नेहा ने यह भी कहा कि जितने भी स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स हैं उनका उपयोग शादी पार्टी और राजनीतिक कार्यक्रम के लिए ज्यादा हो रहा है। यह सब बंद कर केवल खेल में उपयोग में लाएं और उसका मेंटेनेंस करें।

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