न केरल, न तमिलनाडु और न आंध्र से, इस देश से भारत पहुंची इडली
आज भारत में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने कभी इडली न खाई होगी. चावल और उड़द के खमीर वाले घोल के ये पेड़े भाप में पकाए जाते हैं. गर्मागर्म सांभर और ठंडी-ठंडी चटनी इसका मजा कई गुणा बढ़ा देती है. बची हुई इडली को फ्राई करके भी खाया जा सकता है. हालांकि इडली सुबह के नाश्ते के रूप में मशहूर है पर इसे कभी भी खाया जा सकता है. यह सुपाच्य और पोषक होता है. पर क्या आप जानते हैं कि इडली भारत पहुंची कैसी? चलिए हम बताते हैं
इडली का इतिहास इंडोनेशिया से जुड़ा है. कर्नाटक के भोजन के मशहूर इतिहासकार, केटी अचार्य के मुताबिक, 7वीं से 12वीं शताब्दी के बीच इंडोनेशिया में ‘केडली’ या ‘केदारी’ के नाम की एक डिश थी. इंडोनेशिया पर कई भारतीय हिन्दू राजाओं ने राज किया. जब वे रिश्तेदारों से मिलने अथवा शादी करने के लिए भारत आते तो वहां के खानसामों और पकवानों को भी साथ लेकर आते. माना जाता है कि अरब व्यापारियों का भी इसमें योगदान था, जो चावल के आटे को खमीर करने की तकनीक लेकर आए.
फूड हिस्टोरियंस के अनुसार, इडली की उत्पत्ति 800-1200 ईस्वी के दौरान इंडोनेशिया में हुई थी, जहाँ इसे चावल और किण्वन (fermentation) की विधि से बनाया जाता था. इंडोनेशिया पर शासन करने वाले हिंदू राजाओं के शाही रसोइये इस व्यंजन को भारत लाए. एक अन्य थ्योरी के अनुसार, अरब व्यापारियों ने भारत में चावल के गोले और नारियल की चटनी लाने की परंपरा शुरू की, जिससे इडली के विकास में मदद मिली.
इडली का उल्लेख विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रंथों में किया गया है, जिसमें 7वीं शताब्दी का कन्नड़ कार्य “वद्दाराधने” भी शामिल है, जिसमें “इडलीगे” को बनाने का वर्णन है. इस व्यंजन का उल्लेख 10वीं शताब्दी के तमिल पाठ “पेरिया पुराणम” में भी किया गया है, जो शैव संतों के एक समूह, 63 नयनारों की जीवन कहानी का वर्णन करता है.
यह भी कहा जाता है कि जब 10वीं शताब्दी ईस्वी में मोहम्मद गजनी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, तो सौराष्ट्र के व्यापारी दक्षिण भारत चले गए, वहीं इडली की रेसिपी का जन्म हुआ और इसका नाम भी रखा गया.
इडली के जन्म से जुड़ी एक और कहानी है, जिसमें इसका रिश्ता अरब से भी देखा गया है. ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फूड हिस्ट्री’ और दूसरी किताब ‘सीड टू सिविलाइजेशन- द स्टोरी ऑफ फूड’ में बताया गया है कि भारत में बसे अरब लोग सख्ती से केवल हलाल खाद्य पदार्थों का ही सेवन करते थे और चावल के गोले उनके पसंदीदा विकल्प थे. चावल के गोल टिकिया का आकार थोड़ा फ्लैट भी होता था और अरब इसे नारियल की चटनी के साथ खाया करते थे.
अब इडली आई कहीं से भी हो, लेकिन यह सालों से भारत के सबसे ज़्यादा पॉपुलर डिशेज़ में से एक है. यह एक ऐसी डिश, जिसे खाकर हमारा पेट और दिल दोनों खुश हो जाते हैं. यह भाप में पकाई जाती है और सांभर व नारियल की चटनी के साथ खाई जाती है. यह प्रोटीन और खनिजों से भरपूर, पचने में आसान और स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता है.
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