बचपन में ही विकसित होती है वैज्ञानिक सोच

swaroopanand-physicsभिलाई। भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग अंतर्गत विज्ञान प्रसार व छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आयोजित भौतिकी में नवाचारी प्रयोग विषयक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एम के वर्मा ने किया।
प्रदेश के आदिवासी अंचल के दंतेवाड़ा, कांकेर, राजनांदगांव व बालोद जिलों की भौतिकी विषय के शिक्षकों के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ वर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य के निर्धारित होने व उपलब्धियों के मुकाम तय होने में स्कूल स्तर के उन शिक्षकों का सर्वाधिक योगदान होता है जो प्रयोगों तथा रोचक उदाहरणों के जरिये विद्यार्थियों को सिखाने में सफल होते हैं। उन्होंने आगे कहा, वेदों सहित भारतीय ग्रंथों में अनुभव के आधार पर लिखी गयी सृष्टि व प्रकृति सम्बन्धी विभिन्न बातों व प्रक्रियाओं के वैज्ञानिक आधार अब सामने आ रहे हैं। अतरू धर्म व धार्मिक ग्रंथों को आँख बंद कर नकारना या अंधविश्वास निरुपित करना ठीक नहीं है।
नई दिल्ली से आये विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डॉ बी के त्यागी ने कहा कि भारत में 18 वीं शताब्दी के पूर्व बने विभिन्न मंदिरों तथा जयपुर के हवा महल जैसी एतिहासिक इमारतों में उन वैज्ञानिक विधियों व सिद्धान्तों का प्रयोग किया गया है जिनकी खोजें बहुत बाद में हुई। उन्होंने आगे कहा कि विज्ञान हमारे आस-पास ही है, बस इसे समझने का नजरिया बच्चों में विकसित करने की आवश्यकता है।
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बड़े-बूढ़ों द्वारा बताई जाने वाली बहुत सी नसीहतों में उपस्थित विज्ञान की चर्चा की एवं प्रतिभागी शिक्षकों से कार्यशाला के दौरान सीखने-सिखाने के नवप्रवर्तक तरीकों को अपने शिक्षण में अपनाने का आग्रह किया। आरम्भ में छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो डी एन शर्मा ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बतलाया कि इस कार्यशाला से भौतिक विज्ञान के मूल सिद्धांतों की आधारभूत समझ विकसित करने के नवप्रवर्तक युक्तियों व प्रयोगों में शिक्षक दक्ष हो सकेंगे। छत्तीसगढ़ विज्ञान मंच की सचिव डॉ भव्या भार्गव ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रभावी गतिविधियों को आयोजित करने हेतु विज्ञान प्रसार की सराहना करते हुए आभार प्रदर्शन किया।

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