दोनों हाथ नहीं, पैर से लिखती हैं दामिनी, बढ़ाया मनोबल
रायपुर। दोनों हाथ नहीं लेकिन दामिनी ने हिम्मत नहीं हारी और पैर से लिखकर पढ़ाई की। अब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का लोगों बनाकर शिक्षा का संदेश दे रही है। दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद दामिनी सेन पढ़ाई-लिखाई, पेंटिंग व घरेलू कार्य सहित हर कार्य को पैरों से कर लेती हैं। जन्म से ही दामिनी के हाथ नहीं हैं। दामिनी सेन कहती हैं, जीवन में कुछ बनना चाहते हो तो निरंतर प्रयास करते रहो। दुनिया मे कोई चीज नामुमकिन नहीं है। पहले आप पढ़ो फिर अपने लक्ष्य को प्राप्त करो। जीवन में हर वह काम करना चाहिए जिससे हमें खुशी मिले। प्रेरिणा किसी भी जीव या घटना से ली जा सकती है। पंछी भी अपने से बड़ा घोसला बनाती है क्योंकि उसके इरादे मजबूत होते है। हमें सकारात्मक सोच बनाए रखना चाहिए। शांति महसूस करोगे तो शांति मिलेगी, अशांत महसूस करोगे तो माहौल अशांत लगेगा।
दामिनी ने अपनी पढ़ाई मां बंजारी गुरुकुल विद्यालय से प्राप्त की। वे आईएएस बनकर देश की प्रशासनिक सेवा करना चाहती हैं। मठपारा बिरगांव में रहने वाली दामिनी के पिता प्रेमलाल सेन डब्ल्यूआरएस कॉलोनी के स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। दामिनी का कहना है कि उनके पिता और मां माधुरी सेन की मेहनत का ही नतीजा है, जो आज उन्होंने अच्छे अंकों से हर परीक्षा उत्तीर्ण की। दामिनी कहती हैं कि बचपन से पढ़ाई में रुचि थी, इसलिए हाथ नहीं होने के बावजूद भी मैंने पैरों से लिखने की कोशिश की और उसमें सफल भी हुई।
सक्सेस मंत्र- स्कूल में शिक्षक द्वारा पढ़ाए गए पाठ को हर दिन घर में आकर पढऩा। इसके बाद अगले दिन पढ़ाए जाने वाले पाठ को समझने की कोशिश करना। दिन में तीन घंटे उन विषयों का पढऩा, जिसमें थोड़ी परेशानी होती है। कोर्स का हर एक चैप्टर अच्छे से पढऩा, ताकि आईएएस की भी तैयारी होती रहे।