5 generations come together to celebrate Hindi Theatre Day

हिन्दी रंगमंच दिवस पर एनएचसी में जुटीं भिलाई की पांच पीढ़ियां

भिलाई। हिन्दी रंगमंच दिवस के अवसर पर 3 अप्रैल को नेहरू सांस्कृतिक सदन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अपनी खट्टी मीठी यादों के साथ भिलाई के रंगकर्मियों की पांच पीढ़ियों ने इसमें हिस्सा लिया. इस अवसर पर वयोवृद्ध रंगकर्मी देवब्रत रायचौधरी एवं रंगकर्मी-कवयित्री-साहित्यकार संतोष झांझी का सम्मान किया गया. वरिष्ठ पार्षद वशिष्ट नारायण मिश्र ने इस अवसर पर सेक्टर-5 में रंग कर्मियों के लिए प्रेक्षागृह के निर्माण की जानकारी साझा की. यह आयोजन साहित्य एवं कला समूह द्वारा किया गया.


पांच पीढ़ी के इन कलाकारों को हिन्दी रंग मंच दिवस के अवसर पर एकत्र करने का दुरूह कार्य शक्तिपद चक्रवर्ती की पहल पर संभव हुआ. नेहरू सांस्कृतिक सदन परिसर के ओपन ऑडिटोरियम में हुआ यह आयोजन नाट्यशिल्पियों के फक्कड़ स्वभाव के अनरूप ही था. वरिष्ठ रंगकर्मियों को सीढ़ियों पर बैठकर कलाकारों को मनोबल बढ़ाते देखना मर्मस्पर्शी था. मंच ने ऐसे रंगकर्मियों का भी पुण्यस्मरण किया जो कार्यक्रम में उपस्थित नहीं थे पर भिलाई का रंगमंच जिनका ऋणी था.

इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी अनिता उपाध्याय के नेतृत्व में “अष्टरंग” के कलाकारों ने कविता कोलाज ‘वामा’ की खूबसूरत प्रस्तुति दी. इस नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी दिनेश दीक्षित ने कुछ समय पहले किया था. “स्वयंसिद्धा” डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने संतोष झांझी की कविता “हिरणी के पांव थम गए” का बेहद प्रभावशाली पाठ किया. वरिष्ठ रंगकर्मी गुलाम हैदर ने ईरान में लैंगिक भेदभाव की बलिवेदी पर अपनी कुर्बानी देने वाली रेहाना जब्बारी के अंतिम पत्र का हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया. राकेश बम्बार्डे जी की अगुवाई में उनके युवा कलाकारों ने जनगीत की खूबसूरत प्रस्तुतियां दीं.
भिलाई की पहली पीढ़ी के रंगकर्मी देवब्रत रायचौधरी ने रंगमंच के अपने दीर्घ अनुभवों को साझा करते हुए कई रोचक प्रसंग साझा किये. उन्होंने बताया कि हिन्दी में हाथ तंग होने के बावजूद उन्होंने हिन्दी नाटक में मुख्य पात्र की भूमिका निभाई. इसमें उनकी हिन्दीदां पत्नी का अमूल्य सहयोग रहा. उन्होंने सुनकर संवादों को याद किया और फिर राष्ट्रीय मंच पर इस नाटक ने पांच पुरस्कार जीते. वहीं संतोष झांझी ने कहा कि उन्हें कई दशकों तक रंगमंच साझा करने का सौभाग्य मिला. आरंभिक दौर कठिन था. उन दिनों महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थीं. अब पुत्र रजनीश उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा है. रंगमंच के साथ ही वह क्षेत्रीय फिल्मों में भी अच्छा काम कर रहा है. अब वे अपना पूरा वक्त लेखन को देती हैं.
आरंभ में आकाशवाणी की उद्घोषक रही कल्पना यदु, ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, वशिष्ठ नारायण मिश्र, नीलम चन्ना केशवलु आदि का सम्मान किया गया. रंगकर्मी बी भानुजी राव ने हिन्दी नाटकों के इतिहास और भिलाई में रंगकर्म के इतिहास का संक्षेप में वर्णन किया. इस अवसर पर भिलाई के पपेट मैन विभाष उपाध्याय, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं सुप्रसिद्ध सिने कलाकार प्रदीप शर्मा, ईटी सतीशन, राजेश श्रीवास्तव, मंजू यदु, जय प्रकाश नायर, “स्वयंसिद्धा” की डॉ अलका दास, देवयानी मजुमदार, अनिता चक्रवर्ती, रूमा कर, अरविन्द वैष्णव, रीता वैष्णव, संजीव चक्रवर्ती, दीपक रंजन दास सहित पचास से अधिक रंगकर्मी एवं कलाप्रेमी उपस्थित थे. वरिष्ठ रंगकर्मी एवं कलामर्मज्ञ सुरेश गोंडाले ने सूत्रधार की भूमिका का निर्वहन किया.

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