Neglecting eye care can have other side effects

आंखों को लेकर आज भी गंभीर नहीं है ग्रामीण आबादी – डॉ प्रीतम

भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ प्रीतम कुर्रे ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज भी नेत्र रोगों को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है. सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग मिल जाएंगे जिन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता पर वे कभी डाक्टर के पास नहीं गए. कई ऐसे भी हैं जिन्हें चश्मे का पावर दिया जा चुका है पर वे चश्मे का उपयोग नहीं करते. उन्होंने कहा कि सही नम्बर के चश्मे का लगातार उपयोग कर सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, पावर का लगातार बढ़ने जाना जैसी परेशानियों को टाला जा सकता है.
डॉ कुर्रे हाल ही में बालोद में आयोजित एक चिकित्सा शिविर में सम्मिलित हुए थे. इस शिविर का आयोजन साधुमार्गी जैन संघ, बालोद द्वारा हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के सहयोग से आयोजित किया गया था. शिविर में जैन समाज के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ प्रदीप जैन का विशेष सहयोग रहा.

डॉ कुर्रे ने बताया कि शिविर में उन्हें 100 से ज्यादा मरीजों को देखने का मौका मिला. इनमें से लगभग 20 फीसदी की आंखों में मोतियाबिंद था. शिविर में आए लोगों में से 80 प्रतिशत लोगों को कभी न कभी चश्मा लगाने के लिए नम्बर दिया गया था पर इनमें से अधिकांश ने कभी चश्मा बनवाया ही नहीं. कुछ लोगों ने चश्मा बनवा तो लिया था पर उसका कभी कभी फैशन की तरह इस्तेमाल करते थे. इनमें से अधिकांश की आंखों में 2.5 से लेकर 4 तक का पावर था.
डॉ कुर्रे ने बताया कि आंखों को लेकर लोग अब भी बहुत ज्यादा सचेत नहीं है. कुछ लोग शौक से सस्ते चश्मों का उपयोग करने लगते हैं तो कुछ लोग आवश्यकता पड़ने पर भी चश्मे का उपयोग नहीं करते. बच्चे अकसर अपना चश्मा तोड़ बैठते हैं जिसके कारण दूसरा बनने तक वे बिना चश्मे के ही पढ़ाई करते हैं. इसके कारण लगातार चश्मे का पावर बढ़ता चला जाता है. उन्होंने बदलते खान-पान, प्रदूषण और लगातार बढ़ते हुए स्क्रीन टाइम से आंखों कि हिफाजत करने की सलाह दी है.

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