आरएसएस प्रमुख भागवत ने बताया जाति व्यवस्था पंडितों के दिमाग की उपज
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने स्वयंसेवकों से सामाजिक भेदभाव को खत्म करने के लिए काम करने को कहा है. उनका कहना था कि इससे सामाजिक सद्भाव बना रहेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि ‘एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान’ सभी के लिए होना चाहिए. जाति व्यवस्था पंडितों के दिमाग की उपज है जो अब अप्रासंगिक हो चुकी है. भागवत अलीगढ़ में एक सभा को संबोधित कर रहे थे.
भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. पर नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के अनुसार, भागवत जाति व्यवस्था और जाति आधारित भेदभाव को खत्म करने की बात कर रहे थे. यह पहली बार नहीं है जब सरसंघचालक ने जाति और ‘वर्ण’ व्यवस्था को खत्म करने की बात कही है. अक्टूबर 2022 में भी उन्होंने कहा था कि जाति व्यवस्था पुरानी हो चुकी है और सामाजिक सद्भाव के लिए इसे भूल जाना चाहिए.
उस समय भागवत ने कहा था कि जाति व्यवस्था को हमारे पूर्वजों ने गलती से अपनाया था। अब जब हमें गलती का एहसास हो गया है, तो राष्ट्रीय एकता के हित में इसे छोड़ देना चाहिए. कुछ महीने बाद, भागवत ने कहा कि भगवान के सामने सब बराबर हैं. जाति व्यवस्था ‘पंडितों’ ने बनाई थी. उन्होंने कहा, “हमारे निर्माता के लिए हम सब बराबर हैं. कोई जाति या संप्रदाय नहीं है। ये अंतर हमारे पंडितों ने बनाए हैं.’