कमीशनखोरी के खिलाफ पड़ेंगे वोट

jayshree johभिलाई/दुर्ग। पूरी दिलेरी के साथ भाजपा की पार्टी प्रत्याशी चंद्रिका के खिलाफ महापौर चुनाव के मैदान में डटी हुई निर्दलीय प्रत्याशी जयश्री जोशी को पूरा यकीन है कि शहर की बदहाली से त्रस्त लोग इस बार भ्रष्टाचार और बदहाली से मुक्ति पाने के लिए मतदान करेंगे। उन्होंने कहा कि जनता को सब पता है कि भ्रष्टाचार कहां से हो रहा है, नगर निगम में किसकी चल रही है और करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी शहर का बुरा हाल क्यों है। श्रीमती जोशी स्टील कालोनी स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से चर्चा कर रही थीं। उन्होंने कहा कि उनके पास पैसा नहीं है इसलिए वे खरीदकर कार्यकर्ता इकट्ठा नहीं कर सकतीं। जो लोग दिल से शहर में परिवर्तन लाना चाहते हैं वे उसके साथ हैं। इनमें से कुछ लोग खुलकर सामने आने का साहस जुटा पाए हैं जबकि ऐसे लोगों को भी कमी नहीं है जो किसी का कोपभाजन बनने से बचने के लिए नेपथ्य से उनका समर्थन कर रहे हैं। >>>
श्रीमती जोशी ने बताया कि उन्होंने पूरे धैर्य के साथ पिछले 10 वर्षों तक जनता की लड़ाई बिना किसी अधिकार के जारी रखी। उन्हें सही वक्त और अवसर का इंतजार था। निगम चुनाव का यह वर्ष एक अवसर की तरह ही सामने आया था। इस बार यह सीट सामान्य वर्ग महिला के लिए था इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी मोदी की मंशा के अनुरूप किसी ऐसी महिला को सामने लाएगी जो अधिकार पूर्वक जनता के काम कर सके। किन्तु पार्टी प्रत्याशी की घोषणा के बाद उनका यह भ्रम टूट गया।
श्रीमती जोशी ने अफसोस जताते हुए कहा कि उन्होंने पिछले एक दशक से भी अधिक समय तक एक-एक मिनट पार्टी और नगर निगम क्षेत्र की जनता को दिया। वे उनके अधिकारों के लिए खुल कर लड़ती रहीं पर किसी तरह का अधिकार नहीं होने के कारण सफलता बहुत कम मिली। इन कार्यों में वे इतना मसरूफ रहीं कि अपने घर की आज तक पुताई नहीं करवा पाई हैं।
आक्रोश और अवसर : श्रीमती जोशी बताती हैं कि उनके बच्चे विदेशों में सेटल हो चुके हैं। अब वे अपना पूरा वक्त जनता को देना चाहती हैं किन्तु उनके तेवर से उनका पूरा परिवार डरा हुआ है कि जाने कब क्या हो जाए। पर उन्होंने उन्हें यह कहकर तसल्ली दी है कि वे जनता के आक्रोश का चेहरा बनकर चुनाव मैदान में हैं इसलिए फिक्र की कोई बात नहीं है। वे इसे एक अवसर की तरह देखती हैं। यदि जनता ने उन्हें मौका दिया तो वे एक भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी से मुक्त प्रशासन देने का वायदा जनता से करना चाहती हैं जहां जितना भी पैसा विकास के लिए आएगा उसका पाई पाई विकास पर ही खर्च होगा। किसी का कोई एजेंट निगम के दफ्तर में बैठकर पूरे निगम प्रशासन को कठपुतलियों की तरह नहीं नचाएगा।
सबसे बड़ी चुनौती : श्रीमती जोशी कहती हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती
सभी 60 वार्डों तक न्यूनतम साधनों से पहुंचना है और उन्हें यह बताना है कि वे इस बार कमल नहीं नल छाप पर चुनाव लड़़ रही हैं।

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