गणित से अलग है जिन्दगी का गणित
दुर्ग। व्यक्तित्व विकास आज के समय में एक ऐसा विषय है जिसकी जरूरत पढ़ाई करने के बाद हर युवा के लिए आवश्यक है। यदि एक गणित के विद्यार्थी की बात की जाये तो एक क्लिष्ट विषय को पढ़ते समय एक विद्यार्थी परिवार, समाज और देश-दुनिया से एक तरह से कटा सा रहता है इसी कमतरी को देखते हुए महाविद्यालय के गणित विभाग में एम.एससी पूर्व और अंतिम के विद्यार्थियों के लिए एक उत्साहवद्र्वक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र चौबे रहे। Read Moreडॉ. चौबे ने अपने उद्बोधन में बहुत सरल शब्दों में विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार रहकर उसकी प्राप्ति के उपाय बताए। छोटे-छोटे उदाहरणों की सहायता से डॉ. चौबे ने विद्यार्थियों को निराश न होते हुए हर परिस्थिति में आगे बढऩे के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि अपने अतीत की गल्तियों का अपराध बोध हमें निराश करता है अत: गल्तियों से सबक लेकर उसे बार-बार याद न किया जाए। शब्द इम्पासिबल भी कहता है कि आई एम पासिबल। लक्ष्य कठिन नहीं होता, बस कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। और लक्ष्य विहीन जीवन एक चौपाया की तरह है जो सुबह से लेकर आने वाली सुबह तक केवल पेट भरने के घूमता रहता है। इंसान वह है जो दूसरों की प्रशंसा करे और हर वक्त दूसरों का खासकर ईश्वर का शुक्रिया भी अदा करे। दुनिया में हर चीज ठोकर खाकर टूटती है परंतु कामयाबी ही ऐसी चीज है जो बिना ठोकर खाए मिलने पर संतुष्ट नहीं करती।
मुखौटा लेकर चलें
कार्यक्रम का संचालन करते हुए विभाग की डॉ. प्राची सिंह ने बताया कि पर्सनालिटी शब्द परसोना से बना है जिसका अर्थ होता है मुखौटा। अत: इंसान को हर जगह एक मुखौटा लेकर चलना पड़ता है। यदि इंसान अपने अंदर के गुणों को जागृत कर ले तो उसे मुखौटे की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। और अंतरात्मा को जगाने के लिए सफाई स्वास्थ्य और स्वयं पर दृढ़ अनुशासन आवश्यक है।
गणित के साथ पर्सनालिटी
अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एम.सिद्दिकी ने गणित की पढ़ाई के साथ-साथ, व्यक्तित्व विकास का अभिन्न अंग बताया। गणित और भाषा के बिना एक मनुष्य सामाजिक नहीं हो सकता क्योंकि एक बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति भी छोटे-मोटे दैनिक हिसाब के साथ-साथ जीवन के गणित को समझकर समाज में व्यवहार करता है।
कार्यक्रम में विभाग के सभी सदस्य डॉ. पद्मावती डॉ. राकेश तिवारी, डॉ. स्वाति वर्मा, श्रीमती शोभा रानी और कु. निधि शर्मा ने भी अपने अपने विचार प्रस्तुत किए।
एम.एस.सी अंतिम की कक्षा प्रतिनिधि कु. दीप्ति ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम को आवश्यक एवं उपयोगी बताया।