बीएसआर कैंसर में दुर्लभतम कैंसर की सफल सर्जरी
एक लाख में सिर्फ दो लोगों को होता है यह कैंसर, 10 घंटे चला आपरेशन
भिलाई। बीएसआर कैंसर अस्पताल में एक दुर्लभतम कैंसर का मामला प्रकाश में आया है। सूडोमिक्सोमा पेरीटोनीआई (पीएमपी) नाम का यह कैंसर उदर में फैलता है। महिला की सफलता पूर्वक सर्जरी कर दी गई है। यह आपरेशन करीब 10 घंटे चला। इसे साइटो रिडक्शन सर्जरी कहते हैं। बीएसआर कैंसर अस्पताल के आँको सर्जन डॉ नितिन के बोमनवार ने बताया कि यह कैंसर न केवल दुर्लभ है बल्कि यह कई मामलों में अन्य कैंसर से अलग भी है। यह रक्त या लिम्फ से होकर आगे नहीं बढ़ता और इसलिये यह उदर के भीतर ही फैलता रहता है।
डॉ बोमनवार ने बताया कि पीएमपी आम तौर पर अपेंडिक्स, डिम्बग्रंथी, गर्भाशय से शुरू होता है। इसलिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसके ज्यादा मामले देखने में आते हैं। बीएसआर कैंसर में आई मरीज एक 50 वर्षीय महिला है। उन्होंने बताया कि कैंसर की गांठ सबसे पहले अपेेंडिक्स में बनी। वह बड़ी होकर अपेंडिक्स को फोड़ कर बाहर आ गई। इससे निकलने वाला तरल चिपचिपा पदार्थ पेट में फैलता चला गया और फिर पेट के अन्य हिस्सों में भी गांठें बनने लगीं। जब तरल से उदर की थैली भर गई और अन्यान्य अंगों पर दबाव पडऩे लगा तब कहीं जाकर महिला ने पेट में भारीपन, दर्द और भोजन करने में असुविधा की शिकायत की।
लंबी चली सर्जरी : डॉ बोमनवार ने बताया कि महिला को पीएमपी से निजात दिलाने लंबी सर्जरी करनी पड़ी। पहले हमने पेट से पूरा तरल पदार्थ निकाला और भीतर अन्य गांठों को तलाश कर उन्हें निकाला। इसके बाद अपेंडिक्स सहित बड़ी आंत के आरंभ का हिस्सा (असेंडिंग कोलोन और ट्रांसवर्स कोलोन का एक हिस्सा) निकाल दिया। इसके बाद छोटी आंत के उस हिस्से को भी छांट दिया जो बड़ी आंत से जुड़ा होता है। इसके बाद छोटी आंत को बड़ी आंत के बाकी बचे हिस्से से जोड़ दिया गया। इसके अलावा मरीज की डिम्ब ग्रंथी और गर्भाशय को भी निकाल दिया गया।
अब चलेगा कीमो : पीएमपी के मामलों में सर्जरी के बाद कीमो थेरेपी करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए उदर के भाग में ही इंट्रापेरीटोनियल कीमो थेरेपी दी जाती है।
लौट सकती है बीमारी : चूंकि पीएमपी जेली की भांति उदर के सभी हिस्सों तक पहुंच जाता है इसलिए इसे पूरी तरह से साफ करना मुमकिन नहीं होता। इसलिए ऐसे मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग करनी होती है।
देर से चलता है पता : पीएमपी में जब गांठ छोटी होती है और अपेंडिक्स में छिपी होती है तो उसका पता ही नहीं चलता। मरीज को इसका अहसास तब होता है जब पेट जेली जैसे तरल से भर जाता है। इसके बाद पेट में फूलापन और भारीपन, दर्द, भोजन करने में असुविधा या भूख का खत्म हो जाना, लेटने पर सीने में भारीपन तथा अंतडिय़ों में रुकावट महसूस होने लगती है। पर तब तक रोग काफी फैल चुका होता है।