Man gets New 3D Printed Upper Jaw at Hitek

ब्लैक फंगस के मरीज को हाइटेक में मिला टाइटेनियम का 3D जबड़ा

भिलाई। ब्लैक फंगस का असर कितना घातक हो सकता है, इसका पता कोविड काल में चल चुका है. इसी ब्लैक फंगस की वजह से किसी व्यक्ति के चेहरे का एक भाग गल जाए तो कैसा लगेगा. यही कुछ हुआ था 58 वर्षीय संतोष कुमार जायसवाल के साथ. उनका ऊपरी जबड़ा आधा गल चुका था जिसे आपरेशन द्वारा एक साल पहले निकाल दिया गया था. बायीं ओर के इस आधे ऊपरी जबड़े को निकालकर उसकी जगह टाइटेनियम धातु से निर्मित जबड़ा प्रत्योरोपित कर दिया गया. प्रोस्थेसिस को बनाने के लिए थ्री-डी प्रिटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया.
मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ राजदीप सिंह ने बताया कि यह एक दुर्लभ मामला था. आम तौर पर ऊपरी और निचले जबड़ा विभिन्न कारणों से क्षतिग्रस्त हो जाता है जैसे – चेहरे के ट्यूमर, सड़क हादसे, ओरल कैंसर, आदि. ऊपरी जबड़े का आधा भाग गल जाने के साथ ही मरीज के तालू में भी छेद हो गया था. इसकी वजह से वह जो कुछ भी खाते, वह नाक के रास्ते से बाहर निकल आता. पानी पीना या बातचीत करना तक कठिन हो गया था.


डॉ राजदीप ने बताया कि सभी जांच करने के बाद निकाले गए ऊपर के आधे जबड़े (मैक्सिला) के स्थान पर इम्प्लांट लगाने का फैसला किया गया. इसके लिए चेहरे का थ्री-डी स्कैन किया गया. थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक से ही प्रोस्थेसिस (लगाया जाने वाला कृत्रिम हिस्सा) तैयार किया गया. इसके बाद सर्जरी द्वारा टाइटेनियम से बने कृत्रिम हिस्से को फिक्स कर दिया गया. इसे फिक्स करने के लिए भी टाइटेनियम के स्क्रू का ही उपयोग किया गया है.
डॉ राजदीप ने बताया कि इस तरह का एक रिपोर्टेड मामला पूर्वांचल बीएचयू में सामने आया था जहां ब्लैक फंगस इंफेक्शन के कारण एक व्यक्ति का ऊपरी दाहिना जबड़ा गल गया था. इस मामले में भी थ्रीडी प्रिंटिंग की मदद से ही कृत्रिम हिस्से को बनाकर प्रत्यारोपित किया गया था. हमने उनके अनुभवों से सीखकर सफलता पूर्वक इस सर्जरी को अंजाम दिया. सर्जरी में डॉ राजदीप के अलावा डेन्टिस्ट डॉ दासरॉय, थ्री-डी स्कैनिंग व प्रिंटिंग के डिजाइन में प्रोस्थोडॉन्टिस्ट डॉ अनुराग दानी, नर्सिंग स्टाफ हेना, मुकेश, हेमलता और विद्या की भी बड़ी भूमिका रही.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *