IPTA Summer Camp comes to an end

IPTA के मंच पर “अंधेर नगरी चौपट राजा” और “स्कूटर” का शानदार मंचन

भिलाई. भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) भिलाई के रजत जयंती वर्ष में बाल कलाकारों ने मंच पर वह धमाल मचाया कि दर्शक अंत तक बंधे रह गए. सुमधुर जनगीत, फिल्मी एवं लोकगीतों के साथ ही कालजयी नाटक “अंधेर नगरी चौपट राजा” एवं “स्कूटर” का मंचन शिविरार्थी बच्चों द्वारा किया गया. बाल कलाकारों ने कभी दर्शकों को गुदगुदाया, कभी भावुक किया तो कभी अपनी हरकतों से उन्हें लोटपोट भी करते रहे. नाटकों के एक-एक दृश्य पर बारीकी से किया गया काम साफ-साफ दिखाई पड़ता था.
भारतेन्दु हरिश्चंद्र के कालजयी नाटक “अंधेर नगरी चौपट राजा” को हजारों बार मंच पर खेला जा चुका है पर हर बार उसमें कोई न कोई नई बात पैदा हो ही जाती है. जब मंत्री की पिठय्या बैठकर राजा का मंच पर प्रवेश होता है तो सभी के चेहरे पर मुस्कान थिरकने लगती है. राजा की बालसुलभ हरकतों पर दर्शक ठहाके लगाते हैं. पर नाटक के अंतिम दृश्य में फांसी पर झूलते राजा का दृश्य बेहद प्रभावशाली बन पड़ा था. इस नाटक का निर्देशन युवा निर्देशक चारू श्रीवास्तव ने किया.


इसी तरह स्थानीय साहित्यकार लोकबाबू के नाटक “स्कूटर” में हास्य पैदा करने में निर्देशक सफल रहे. इस नाटक से हर कोई किसी न किसी रूप में स्वयं को जुड़ा हुआ महसूस करता रहा. परिवार के पास एक खटारा स्कूटर है जिसे रिटायर करने का वक्त आ गया है. पर बेटी का विवाह और सामने खुद का रिटायरमेंट, ऐसे में व्यक्ति नई मोटरसाइकिल ले तो कैसे? पत्नी और बेटी की बचत और वैवाहिक खर्चों में कटौती कर किसी तरह एक बाइक खरीद ली जाती है. पर जब होने वाला दामाद बाइक मांग बैठता है तो परिवार का दिल बैठ जाता है. बेटे पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ता है. इस भाव को निर्देशक बेहद खूबसूरती के साथ दिखाने में सफल रहे. पर अंत में पुरानी स्कूटर को ही झाड़-पोंछकर जब बेटा उसीमें खुश रहने की कोशिश करता है तो भारतीय परिवार का वह पहलू भी उजागर हो जाता है जहां लोग एक दूसरे के लिए अपनी खुशियों की तिलंजलि दे देते हैं. इस नाटक का निर्देशन मुम्बई से पधारे अपराजित शुक्ल ने किया. परिकल्पना चित्रांश श्रीवास्तव की थी. कहानी का नाट्यरूपांतरण कुसुमिता ने किया था.


यह इप्टा की 80वीं वर्षगांठ है. यह भी एक संयोग है कि यह संगीतकार सलिल चौधरी, गायक शैलेन्द्र सिंह एवं नाटककार हबीब तनवीर का जनशताब्दी वर्ष भी है. इस अवसर पर सलिल चौधरी एवं शैलेन्द्र सिंह के गीतों की खूबसूरत प्रस्तुति दी गई. 25 दिवसीय रंगशिविर के दो दिवसीय समापन कार्यक्रम के अंतिम दिन भिलाई में रंगकर्म के भीष्मपितामह देबू रायचौधरी, रंग शिविर प्रशिक्षक ईश्वर सिंह दोस्त, प्रख्यात साहित्यकार रवि श्रीवास्तव, शरद कोकास, परमेश्वर वैष्णव, नाटक “स्कूटर” के लेखक लोकबाबू जैसी हस्तियां मौजूद रहीं. इप्टा के वरिष्ठ सदस्य मणिमय मुखर्जी, राजेश श्रीवास्तव, श्रवण चोपकर आदि का विशेष सहयोग रहा.


इस शिविर में सौ से अधिक लोगों ने अपनी भागीदारी दी जिसमें से लगभग 75 बाल-कलाकारों ने अपनी प्रतिभा को निखारा और उसका मंच पर प्रदर्शन भी किया. शिविरार्थियों में विक्रम, माही, निहारिका, सिद्धांत, चारू, विशाल, मयंक, श्रीनू, जान्हवी, कुमकुम, प्राची, वर्तिका, भानु, यासिर, शिव, सृष्टि, अनन्या, प्रशस्ति, हर्ष, हरसिद्धि, नैन्सी, वाणी, श्रीकांत, ऋषभ, कनिष्क, पलक, कुसुमिता, अदीबा, चित्रांश, अंशुमन, संदीप, सुधीर, राजेश, स्नेहा, सुमेधा, देवनारायण, रिया, भारत भूषण, निहिरा, चैतन्या, आदर्श, दिव्यांश, आराध्या, अनुष्का, तान्या, गरी, पीहू, आरवी, कशिश, अक्षत, क्रिश, अयान, अनितेज, श्रेया, लवली, निकिता, मणिमय, नीतिज्ञ, अमिताभ, अतुल्य, अर्पिता, सुंजल, गीतिका, पराग, प्रख्यात, इति, खुशी, धन्य, ट्विंकल, आस्था, अंश, श्रुति, अर्णवेश, संकेत, अंशुमन, दर्शन, अंकित, महक, स्वरा, पल्लवी, चैतन्या, हर्ष, आदित्य, आदि शामिल थे.

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