अल्पायु में दिल का दौरा, टूट रहे मिथक

dr dilip ratnani, stroke in youngsters on the riseभिलाई। प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ दिलीप रत्नानी हैरान हैं कि अब अल्पायु में ही दिल के दौरे पड़ने लगे हैं तथा दिल की बीमारियों के रिस्क को लेकर स्थापित मान्यताएं टूट रही हैं। पिछले एक दशक में कई मिथक टूटे हैं तथा अब स्त्री और पुरुषों में बराबर की संख्या में दौरे पड़ रहे हैं। डॉ रत्नानी ने बताया कि अपोलो बीएसआर अस्पताल में पिछले एक महीने के दौरान हृदयाघात के कम से कम तीन ऐसे मरीज पहुंचे जिनकी उम्र 30 वर्ष से कम थी। इनमें से दो की उम्र 25 से भी कम थी। डॉ रत्नानी बताते हैं कि पहले कम आयु के लोगों में हृदयाघात के मामले देखने में नहीं आते थे। ऐसा भी माना जाता था कि महिलाओं में हृदयाघात के मामले कम होते हैं। ऐसी भी मान्यता थी कि रजोनिवृत्ति से पूर्व महिला हृदयाघात से सुरक्षित होती है। किन्तु नए मामलों के सामने आने के बाद ये सभी धारणाएं मिथक साबित हुई हैं। अब स्त्री और पुरुष दोनों में समान अनुपात में हृदय रोग उभर रहे हैं और पिछले महीने आए तीन मामलों के बाद तो अब यह भी कहना पड़ रहा है कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री हृदयाघात हो सकता है। [More]
डॉ रत्नानी ने बताया कि पिछले महीने आए इन तीन मरीजों की उम्र 22, 23 और 27 साल थी। इनमें से एक तम्बाकू का अत्यधिक सेवन करता था। इसके अलावा इनमें हृदयरोग की संभावना जताने वाला कोई लक्षण नहीं था। हम सबसे ज्यादा चकित 22 साल वाले मरीज को लेकर हुए। उसका कोलेस्ट्राल ठीक था, उसे मधुमेह नहीं था, उच्च रक्तचाप भी नहीं था और न ही उसका वजन (बीएमआई) बिगड़ा हुआ था। इसके बावजूद उसे दिल का दौरा पड़ा। उसके दिल की एक मुख्य धमनी में ब्लाकेज था जिसे लेफ्ट मेन 100 फीसदी ब्लाक कहते हैं। हमने उसकी एन्जियोप्लास्टी भी की किन्तु 24 घंटे बाद उसने दम तोड़ दिया।
इन सभी को हृदयरोग का खतरा
1. किसी भी तरह का मधुमेह (डायबिटीज)
2. उच्च रक्तचाप (हाई बीपी)
3. कोलेस्ट्राल का अधिक होना
4. धूम्रपान या किसी भी अन्य रूप में तंबाकू का सेवन
5. परिवार में किसी को 45 से कम उम्र में हृदयाघात हो चुका हो
25-30 की उम्र के बाद इनमें से सभी के आंकड़ों, जैसे कि ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, ब्लड प्रेशर एवं बीएमआई (वजन) पर नजर रखनी चाहिए तथा नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए।
कई गुना बढ़ जाता है खतरा
डॉ रत्नानी ने बताया कि उपरोक्त खतरे की घंटी सुनते ही सावधान हो जाना चाहिए। साथ ही यह भी याद रखना चाहिए कि इनमें से कोई भी दो लक्षण एक साथ दिखें तो खतरे को दोगुना नहीं बल्कि कई गुना समझना चाहिए।
कहीं भी हो सकता है हृदय रोग का दर्द
heart attack risks in women violating mythsडॉ रत्नानी ने बताया कि आम तौर पर लोगों का मानना है कि दिल की बीमारी होने या दौरा पडऩे पर दर्द सीने में ही होता है। वे यह भी मानते हैं कि यह दर्द सीने के बाईं तरफ से होकर बाएं कंधे और बाएं हाथ तक जाता है। पर यह पूरी तरह सही नहीं है। नाभि से ऊपर और नाक के नीचे सीने के किसी भी तरफ, यहां तक कि पीठ और गर्दन के पिछले भाग में भी दिल से जुड़ा दर्द हो सकता है। आम तौर पर सीने के ठीक नीचे होने वाले दर्द को लोग एसिडिटी या गैस्ट्रिक से जोड़ लेते हैं और इसकी उपेक्षा करते हैं। पर यह दिल का दर्द भी हो सकता है। डॉ रत्नानी बताते हैं कि पेट में बनने वाली गैस से होने वाली तकलीफ भोजन के एक-डेढ़ घंटे बाद तक ही हो सकती है। यदि रात को नींद एकाएक उचट जाए और सीने में भारीपन, जकड़न महसूस हो, सांस लेने में तकलीफ हो तो इसका निश्चित संबंध दिल से है। बिल्कुल देर न करें और तत्काल हृदय रोग चिकित्सक की सलाह लें।
ईसीजी-इको नहीं टीएमटी कराएं
जो लोग नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते हैं उन्हें भी ईसीजी और इको पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। ये दोनों जांच दिल के रोगों का इतिहास बताते हैं, आने वाले खतरे को भांपने के लिये यह पर्याप्त नहीं है। 90 फीसदी तक ब्लाकेज वाले व्यक्ति की ईसीजी भी सामान्य अवस्था में सामान्य आ सकती है। दिल का हाल जानने का सबसे अच्छा तरीका ट्रीड मिल टेस्ट है।
क्या है प्राइमरी एंजियोप्लास्टी?
डॉ रत्नानी ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने पर एक-एक मिनट कीमती होता है। इसमें कोई एक धमनी (नस) 100 फीसदी बंद हो जाती है। जितनी जल्दी हो सके इसे खोलकर रक्त प्रवाह को चालू करना होता है। इसके लिए प्रायमरी एंजियोप्लास्टी की जाती है जिसमें कैथेयर (सूक्ष्म ट्यूब) द्वारा खून के थक्के को खींच कर निकाल दिया जाता है एवं वहां एक जाली (स्टेंट) लगा दिया जाता है। जितनी देर चिकित्सा में होगी, उसके लाभ की संभावना उतनी ही कम होती चली जाएगा। इलाज दौरा पड़ने के 2-3 घंटे में शुरू हो जाए तो रोगी की जान बच जाती है। इसके बाद खतरा बढ़ता जाता है। दौरे के बाद 12 से 24 घंटे की अवधि को हम ग्रे जोन मानते हैं जिसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसके बाद चिकित्सक मरीज की किसी भी प्रकार से मदद करने की स्थिति में नहीं होता। खतरा महसूस होते ही जांच करवाकर निश्चिंत होना चाहिए। दौरा पड़ने की स्थिति में बिना कोई वक्त गंवाए सीधे ऐसे अस्पताल जाना चाहिए जहां हृदयरोग के इलाज की सभी सुविधाएं एवं चिकित्सक मौजूद हों ताकि जल्द से जल्द जांच कर इलाज प्रारंभ किया जा सके।

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