कहीं निकल न आए कोई बड़ी बीमारी, इसलिए जांच कराने से डरते हैं लोग

स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने सिस्कॉल में लगाया स्वास्थ्य शिविर भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने स्टील इन्फ्रा साल्यूशन्स कम्पनी लिमिटेड में स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया। डाक्टर यह जानकर हैरान रह गए कि कुछ लोग केवल इसलिए मेडिकल जांच करवाने से कतराते हैं कि कहीं कोई बड़ी बीमारी का पता न चल जाए। चिकित्सकों ने उनकी शंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि बीमारी को पालने से ही वह बड़ी होती है। समय पर जांच हो जाने से लगभग सभी बीमारियों का पूरा इलाज संभव होता है।

भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने स्टील इन्फ्रा साल्यूशन्स कम्पनी लिमिटेड में स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया। डाक्टर यह जानकर हैरान रह गए कि कुछ लोग केवल इसलिए मेडिकल जांच करवाने से कतराते हैं कि कहीं कोई बड़ी बीमारी का पता न चल जाए। चिकित्सकों ने उनकी शंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि बीमारी को पालने से ही वह बड़ी होती है। समय पर जांच हो जाने से लगभग सभी बीमारियों का पूरा इलाज संभव होता है।Sparsh-SISCOLस्पर्श के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ प्रफुल्ल चौहान ने उपस्थितजनों को कार्य स्थल के खतरों के प्रति आगाह करते हुए उन्हें सुरक्षित ढंग से कार्य करने के टिप्स भी दिए। मूविंग मशीनरी, हीट, रेडिएशन, इलेक्ट्रिक शॉक, गैस आदि से होने वाली दुर्घटनाओं के दौरान उपयोग में लाए जाने वाले प्रोटोकॉल्स की जानकारी दी।
कार्मिकों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि आधुनिक निदान उपकरणों के कारण अनेक बीमारियां अब पकड़ में आने लगी हैं। समय पर इलाज करने पर लोगों की जानें बच रही हैं। यह कहना गलत है कि अस्पताल पैसों के लिए अनावश्यक प्रोसीजर करते हैं।
उन्होंने सीटी एंजियोग्राफी के विकल्प के बारे में भी विस्तार से बताया जिससे ब्लाकेज या एन्यूरिज्म का पता लगाया जा सकता है। यह 80 से 100 फीसदी तक सटीक होता है। यह एक नॉन इनवेसिव तकनीक है जिसमें कैथेटर नहीं डालना होता बल्कि एक कंट्रास्ट मटीरियल का इंजेक्शन दिया जाता है।
 भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने स्टील इन्फ्रा साल्यूशन्स कम्पनी लिमिटेड में स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया। डाक्टर यह जानकर हैरान रह गए कि कुछ लोग केवल इसलिए मेडिकल जांच करवाने से कतराते हैं कि कहीं कोई बड़ी बीमारी का पता न चल जाए। चिकित्सकों ने उनकी शंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि बीमारी को पालने से ही वह बड़ी होती है। समय पर जांच हो जाने से लगभग सभी बीमारियों का पूरा इलाज संभव होता है।फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ सुप्रिया गुप्ता ने एरगोनॉमिक्स की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मशीन पर एक ही मुद्रा में लगातार खड़े रहना, एक ही स्थिति में बैठे-बैठे काम करना, लगातार कम्प्यूटर पर काम करना कई प्रकार की तकलीफों का कारण बन जाता है। कमर, पीठ के निचले हिस्से में या बीच में, कंधों में या गर्दन में दर्द या जकड़न पैदा हो सकती है। ऐसा गलत डिजाइन वाले फर्नीचरों पर बैठने के कारण भी हो सकता है। ध्यान नहीं देने पर यह समस्या क्रॉनिक हो जाती है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि काम के दौरान सही पोस्चर में खड़े रहना या बैठना, थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी स्थिति बदलते रहना जरूरी है। इसके साथ ही प्रतिदिन कुछ हलकी-फुलकी कसरतें की जा सकती हैं जिसमें स्ट्रेच अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए।
उन्होंने कार्मिकों की समस्याओं का समाधान भी किया।
इस अवसर पर कंपनी के अधिकारी कर्मचारियों के साथ ही स्पर्श की टीम से अनुभव जैन व विनीत शर्मा भी उपस्थित थे।

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