Witchcraft, Sorcery and black magic

चारों ओर बिखरा है काला जादू, टोना-टोटका और अंधविश्वास का भंवरजाल

देश ने चाहे कितनी भी प्रगति कर ली हो, शिक्षितों की आबादी भले ही तेजी से बढ़ रही हो, पर अंधविश्वास की काली साया से वह अब तक मुक्त नहीं हो पाया है. लोगों को अंधविश्वास की काली कोठरी से निकालने की गई सारी कवायदें बेअसर साबित हुई हैं. नई घटना एक माता द्वारा अपने दुधमुंहे शिशु की बलि देने से जुड़ा है. किसी तांत्रिक के कहने पर उसने अपने छह माह के शिशु को तालाब में फेंक दिया. इससे पहले उसने शिशु को स्तनपान भी कराया. अंधविश्वास, टोना टोटका और तंत्र मंत्र के नाम पर हत्या की यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे कुछ ही दिन पहले दुर्ग जिले के करहीडीह गांव में पति-पत्नी ने मिलकर अपनी भाभी पर टोनही होने का आरोप लगाया. इसके बाद उसे एक तांत्रिक के पास ले जाया गया जिसने उसे बुरी तरह पीटा, उसे कीलों और अंगारों पर चलाया. वह इतना जख्मी हो गई कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इससे कुछ ही दिन पहले 24 मार्च को कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा की वनोपज सहकारी समिति के अध्यक्ष सोनसाय दुग्गा की हत्या पीट-पीट कर कर दी गई. आरोपियों का कहना था कि सोनसाय उनकी पत्नियों पर जादू टोना करता है जिसके कारण वे बीमार रहती हैं. आरोपी सखाराम और मेरसिंह रिश्ते में जीजा साला हैं. मार्च माह में ही जशपुर जिले के सूजीबहार गांव में टोनही के शक में 65 वर्षीया हन्ना मिंज की घर में घुस कर नृशंस हत्या कर दी गई. आरोपी बेल्जियम टोप्पो ने बताया कि हन्ना के टोना-टोटका के कारण उसके परिवार के लोग हमेशा बीमार रहते थे. इससे पहले फरवरी 2023 में धमतरी में एक युवक ने अपने ही तांत्रिक गुरू की हत्या कर उनका खून पिया और फिर लाश को जलाने की नाकाम कोशिश की. उसे बताया गया था कि गुरू को मारकर उसका खून पी लेने से उसकी सभी शक्तियां उसे मिल जाएंगी. जनवरी में बलरामपुर जिले में आधा दर्जन लोगों ने मिलकर 54 वर्षीय लाली कोरवा को पीट-पीट कर मार डाला. आरोपी मंगलसाय, बंधन, भगतू, बलसा, सकेंद्रा को शक था कि लाली जादू टोना करती है. अंधविश्वास के चलते हुई इन घटनाओं को भले ही हम वक्र दृष्टि से देखें पर अंधविश्वास हमारे आसपास चारों ओर बिखरा पड़ा है. इनमें बिल्ली का रास्ता काटना, रास्ते में खाली घड़ा दिखाई देना, शुभ कार्य के दौरान विधवा या बांझ के दर्शन होना, पूजा पाठ के दौरान दीपक का बुझ जाना, घाव में कीड़े पड़ना, कुत्ते का रोना, दरवाजे पर नींबू-मिर्च, काला कंगन-लाल रिबन या काला पुतला टांगना, दूल्हे को लोहा पकड़ाना, खाट या चप्पलों का उल्टा पड़ा होना, बर्तनों का टकराना, दूध का फटना, टूटे हुए आइने में शक्ल देखना, कछुआ या कछुए की मूर्ति घर में रखना, आदि भी अंधविश्वास की श्रेणी में आते हैं. इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. विज्ञान पढ़ने-पढ़ाने मात्र से कुछ नहीं होता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना जरूरी है.

Diplay pic credit Haribhoomi.com

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