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शंकराचार्य महाविद्यालय में नाखूनों के सौन्दर्य पर विशेष कार्यशाला

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग ने ‘नेल डे’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. इसमें प्राकृतिक और जैविक नेल आर्ट पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को नाखूनों के सौन्दर्य के क्षेत्र में उद्यमिता के अवसरों के बारे में जागरूक कर स्थायी सौंदर्य प्रथाओं को बढ़ावा देना था.
विद्यार्थियों ने इस कार्यशाला में प्राकृतिक रंगों, फूलों और मेंहदी का उपयोग करके सुंदर नेल डिजाइन बनाने का तरीका सीखा. साथ ही नेल उद्योग में संभावित व्यावसायिक अवसरों के बारे में भी जानकरी प्राप्त की. इसमें छोटी सैलून शुरू करना या फ्रीलांसिंग करना, आदि शामिल था. कार्यशाला में प्राचीन सभ्यताओं में उपयोग किए जाने वाले जैविक रंगों के महत्व पर चर्चा की गई और उनके आधुनिक नेल आर्ट में प्रासंगिकता को दिखाया गया. छात्रों ने प्राकृतिक नेल आर्ट तकनीकों के साथ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया. सौंदर्य उद्योग में पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं के महत्व पर जोर दिया गया.
प्राचार्य डॉ. अर्चना झा ने छात्रों को प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करके नेल आर्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने बताया कि नेल आर्ट एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है जिसने उद्योग के बहुत से अवसर शामिल है नेल आर्ट को सीख कर अपना व्यवसाय शुरू किया जा सकता है. लर्न एंड अर्न योजना के तहत नेल आर्ट को भी शामिल कर सकते हैं. नेल आर्ट के लिए विभिन्न टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है किंतु आज के कार्यशाला में प्राकृतिक रंगों और फूलों व पत्तियों से नेल आर्ट करना सिखाया गया.
अतिरिक्त निदेशक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव ने छात्रों को अपने छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया. डॉ. जयश्री वाकणकर, डॉ. नीता शर्मा, पूनम यादव और वैष्णवी सहारा ने प्राकृतिक फूलों और पत्तियों का उपयोग करके नाखूनों को सजाने के लिए उपयोगी सुझाव और तरीके साझा किए.

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