शंकराचार्य महाविद्यालय में बौद्धिक संपदा, पेटेंट, एवं डिज़ाइन फाइलिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला
भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के बौद्धिक संपदा अधिकार प्रकोष्ठ एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. “बौद्धिक संपदा अधिकार, पेटेंट एवं डिज़ाइन फाइलिंग” पर आयोजित यह कार्यशाला राजीव गांधी राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रबंधन संस्थान, नागपुर के सहयोग से राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के अंतर्गत आयोजित की गई.
मुख्य वक्ता श्री कुमार राजू, सहायक नियंत्रक, पेटेंट एवं डिज़ाइन, नागपुर ने अत्यंत उपयोगी एवं तकनीकी जानकारी साझा की. उन्होंने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के प्रकार, ट्रायल डिजाइन, विभिन्न क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता के बारे में बताया साथ ही किस प्रकार अपने विचारों, नवाचारों और रचनात्मक कार्यों को पेटेंट, डिज़ाइन, और कॉपीराइट के माध्यम से कानूनी सुरक्षा दी जा सकती है. श्री राजू ने विशेष रूप से यह समझाया कि पेटेंट फाइलिंग की प्रक्रिया कैसे शुरू की जाती है और इसमें किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है. बेसिक ऑनलाइन फाइलिंग मिनिमम डॉक्यूमेंट फाइलिंग के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार डिज़ाइन रजिस्ट्रेशन करवाकर किसी उत्पाद के सौंदर्यात्मक स्वरूप की सुरक्षा की जा सकती है.
कॉपीराइट के अंतर्गत साहित्य, कला, संगीत, और सॉफ्टवेयर जैसे रचनात्मक कार्यों पर अधिकार प्राप्त कर कैसे क्लेम किया जा सकता है.
कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोणों से जैसे तमिलनाडु, झारखंड, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र कर्नाटक, पश्चिम बंगाल एवं छत्तीसगढ़ के विभिन्न महाविद्यालय के 200 से अधिक प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया. प्रतिभागियों ने सत्र के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र में सक्रिय भागीदारी दिखाई.
कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना झा एवं डीन अकादमिक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव के मार्गदर्शन में किया गया. डॉ अर्चना झा ने कहा कि बौद्धिक संपदा का अधिकार, पेटेंट और डिजाइन फाइलिंग का ज्ञान हम सभी के लिए आवश्यक है. हम जिस युग में जी रहे हैं वहां हर क्षेत्र में कड़ी प्रतियोगिता और चुनौती है ऐसे में हमें अपना अस्तित्व और स्थान बनाए रखने के लिए आधुनिक डिजाइन और उसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए कार्य करना होगा, वरना हम इस दौड़ में पीछे रह जाएंगे.
डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि किसी चीज को हम बेहतर रूप से कैसे प्रस्तुत कर सकते हैं इसके लिए हमें डिजाइन के बारे में बारीकी से जानना होगा. साथ ही छोटी बड़ी फाइलों को किस तरह से हम व्यवस्थित रखें, उसकी प्रक्रिया को सिखना, पेटेंट प्रोसीजर क्लेम करना एवं कॉपीराइट जैसे चीजों पर अपडेट रहना हमारी प्राथमिकता है. कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. राहुल मेने एवं डॉ गायत्री जय मिश्रा ने अतिथि वक्ता के परिचय देते हुए समस्त तकनीकी और प्रबंधन कार्यों का सफलता पूर्वक संचालन किया.
सभी प्रतिभागियों को ई-प्रमाणपत्र प्रदान किए गए. महाविद्यालय की प्राध्यापिका रचना चौधरी ने आभार प्रदर्शन किया. श्री शंकराचार्य महाविद्यालय शिक्षा, नवाचार एवं बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन हेतु सदैव तत्पर है.