INTACH to take up the memorials of Shaheed Sukhdev Raaj

शहीद सुखदेव राज पर इन्टैक की बैठक, जरूरी कदम उठाए जाएंगे

भिलाई। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (इंटैक) दुर्ग भिलाई चैप्टर की बैठक रविवार को संपन्न हुई. महाराजा चौक पर कान्हाजी में सम्पन्न हुई इस बैठक में चंद्रशेखर आजाद के करीबी रहे शहीद सुखदेव राज पर चर्चा हुई. सुखदेव राज ने अपने जीवन के 12-13 वर्ष दुर्ग में बिताए थे. यहां ग्राम अंडा में वे कुष्ठ आश्रम का संचालन करते रहे. संघर्ष के दिनों में लगी एक चोट के कारण अंततः 1972 में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिये. ग्राम अंडा और दुर्ग में उनके स्मारक हैं जो खतरे में हैं.
बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य, ज्येष्ठ नागरिक एवं वरिष्ठ साहित्यकर्मी सरदार गुलबीर सिंह भाटिया ने सुखदेव राज के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भगत सिंग, राजगुरू और सुखदेव के बारे में सभी जानते हैं. सुखदेव राज को लोग सुखदेव समझ लेते हैं. पर दोनों अलग-अलग हैं. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी. इनमें शामिल सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था. जिस सुखदेव की हम बात कर रहे हैं उनका नाम सुखदेव राज महेंद्रा था. जब आजाद को कंपनी बाग में घेर लिया गया तो ये उनके साथ थे. आजाद ने उन्हें भाग जाने को कहा. दीवार फांदते समय सुखदेव के पैर में गोली लग गई थी. 28 मई 1930 को भगवती चरण वोहरा की मृत्यु हाथ में बम फटने से हुई थी. तब सुखदेव उनके करीब थे. इस बम का एक टुकड़ा उनके पेट में धंस गया था. यह जख्म कभी भरा ही नहीं. इसी जख्म के चलते 1972 में उनकी मृत्यु हो गई.


पेंशनर्स समाज के अध्यक्ष भूपेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि अब सुखदेव राज के स्मारक खतरे में हैं. अंडा में उनकी जो प्रतिमा है वह स्थल विवादों में आ गया है इंदिरा मार्केट स्थित उनके स्मारक स्थल पर अब मल्टीलेवल पार्किंग बनने जा रहा है. वे पिछले 10 साल से इन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं. पर अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है.
इसपर इंटैक दुर्ग भिलाई चैप्टर की संयोजक डॉ हंसा शुक्ला एवं पूर्व संयोजक प्रो. डीएन शर्मा ने इसे आगे बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया. उन्होंने कहा कि यह भी दुर्ग जिले की विरासत है जिसे संभालने की पूरी कोशिश की जाएगी. बैठक में इसपर काम करने की रणनीति पर भी विचार विमर्श किया गया.


बैठक में इंटेक के छत्तीसगढ़ संयोजक अरविंद मिश्र, रायपुर संयोजक डॉ राकेश कुमार तिवारी, रवि श्रीवास्तव, विनोद साव, विद्या गुप्ता, डॉ सोनाली चक्रवर्ती, दीपक रंजन दास, डॉ प्राची, सुश्री नरगिस, पीआर साहू, सहित अन्य सदस्य एवं समर्थक उपस्थित रहे.

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