अदालत ने दी छह माह का गर्भ गिराने की अनुमति, रेप पीड़ित का मामला
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रेप पीड़ित किशोरी का अबॉर्शन की अनुमति दी है। जस्टिस पीपी साहू ने 22 दिसंबर को इस संवेदनशील मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर डॉ. बीआर अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल एवं पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में पीड़िता का गर्भपात कराया जाए। भ्रूण का डीएनए सुरक्षित रखा जाए।रायपुर जिले की एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को प्यार में फंसाकर आरोपी युवक ने शादी करने का झांसा दिया। फिर उसके साथ रेप किया। लड़की के परिजनों को तब संदेह हुआ जब बच्ची के पेट का आकार बढ़ने लगा। पूछताछ पर नाबालिग ने पूरी घटना की जानकारी दी। जिसके बाद परेशान परिजन उसे डॉक्टर के पास लेकर गए, जहां पता चला कि किशोरी 25 सप्ताह की गर्भवती है।
मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने दिया आदेश
पीड़ित लड़की ने अपने परिजन के माध्यम से हाईकोर्ट में गर्भपात कराने के लिए अनुमति देने की मांग करते हुए याचिका लगाई। कोर्ट ने 19 दिसंबर को बीआर अंबेडकर अस्पताल और जेएनएम मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी कर मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि गर्भपात से पीड़िता को कोई गंभीर चिकित्सकीय जोखिम नहीं है।
मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए शीतकालीन अवकाश के बावजूद सोमवार को विशेष कोर्ट गठित कर इस मामले की सुनवाई की गई। जस्टिस पी.पी. साहू ने याचिका स्वीकार करते हुए गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है।
हाईकोर्ट बोला- रेप पीड़िताओं को मिले आजादी
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, दुष्कर्म पीड़िता को यह आजादी और अधिकार मिलना चाहिए कि वह स्वयं तय करे कि वह गर्भावस्था जारी रखना चाहती है या उसे समाप्त करना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की गर्भपात की अनुमति मांगने वाली याचिका स्वीकार की जाती है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में होगा अबॉर्शन
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि पीड़िता और उसके परिजन अस्पताल अधीक्षक, स्त्रीरोग विशेषज्ञ और संबंधित मेडिकल कॉलेज प्रशासन से संपर्क कर सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करे। गर्भपात की प्रक्रिया मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के प्रावधानों के तहत, दो पंजीकृत चिकित्सकों एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में कराई जाएगी।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य की जांच और ट्रायल को ध्यान में रखते हुए भ्रूण का डीएनए सैंपल सुरक्षित रखा जाए। पीड़िता को 23 दिसंबर को अस्पताल में उपस्थित होकर गर्भपात कराने का निर्देश दिया गया है।
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