भिलाई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्राइवेट विद्यार्थियों के लिए भी नामांकन अनिवार्य होगा. 2035 तक शासन 55 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों को उच्चशिक्षा में एनरोल करना चाहती है. उच्च शिक्षा में नामांकन के मामले में छत्तीसगढ़ अभी राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है. उक्त बातें शासकीय तामस्कर पीजी महाविद्यालय दुर्ग के प्राध्यापक एवं एनईपी ट्रेनर डॉ अजय सिंह ने आज कही. वे एमजे कालेज में आयोजित एनईपी के प्रशिक्षण सत्र को संबोधित कर रहे थे.
प्रशिक्षण सत्र में अन्य महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण भी शामिल हुए. डॉ अजय सिंह ने एनईपी के तहत यूजी स्तर पर लागू किये गये सेमेस्टर सिस्टम की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स में पढ़ाए जाने वाले विषयों की विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि सभी तरह के इलेक्टिव्स के लिए पूल बना दिये गये हैं जिसमें से विद्यार्थियों को विषय चुनना होगा. उन्होंने एनईपी के तहत चार वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम के चतुर्थ वर्ष की अवधारणा को भी स्पष्ट किया. साथ ही विभिन्न सेमेस्टरों में मार्किंग स्कीम, ग्रेड पाइंड सिस्टम तथा इसकी गणना के विषय में भी सारगर्भित जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को 30 प्रतिशत अंक आंतरिक मूल्यांकन से मिलेंगे तथा शेष 70 प्रतिशत अंक विश्विद्यालयीन परीक्षा में हासिल करना होगा. पास होने के लिए दोनों को मिलाकर न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक हासिल करने होंगे. उन्होंने प्रोमोशन स्कीम को भी विस्तार से समझाया.
आरंभ में शासकीय खूबचंद बघेल महाविद्यालय की प्रो. अल्पना दुबे ने एनईपी के उद्देश्यों को समझाते हुए इसके विभिन्न प्रावधानों की संक्षिप्त चर्चा की.
इस अवसर पर एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर, उप प्राचार्य डॉ श्वेता भाटिया समेत सभी एचओडी और प्राध्यापकगणों के अलावा मनसा कालेज के प्राध्यापकगण भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय की सहायक प्राध्यापक पूनम तिवारी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के एचओडी विकास सेजपाल ने किया.