भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में ग्रंथालय विज्ञान के जनक डाॅ. एस.आर. रंगनाथन के 130 वीं जयंती के अवसर पर ग्रंथालय विभाग के द्वारा रंगनाथन जयंती समारोह का आयोजन महाविद्यालय के केन्द्रीय ग्रंथालय में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ. एस.आर. रंगनाथन के चैलचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रभारी प्राचार्य डाॅ. जे. दुर्गा. प्रसाद राॅव एवं महाविद्यालय की उप प्राचार्य डाॅ. अर्चना झा का स्वागत पौधे भेट कर किया गया।
महाविद्यालय की उप प्राचार्य डाॅ. अर्चना झा ने कहा कि किसी भी बेहतर शैक्षणिक संस्था एक बेहतर ग्रंथालय के बिना अधुरी है। भारत के ग्रंथालय की आज के परिपेक्ष्य में जो दशा एवं दिशा है इसमें रंगनाथन जी का विशेष योगदान रहा है। रंगनाथन जी समय के बहुत पाबंद थे वे निर्धारित समय से पूर्व ही नंगे पैर पुस्तकालय पहुंच जाते थे। उनका मानना था कि पुस्तकालय विद्या का मंदिर है।
महाविद्यालय के बी.एड. के छात्र देवदत्त पटेल ने डाॅ. एस.आर. रंगनाथन के जीवन पर प्रकाष डाला एवं चंचल सिन्हा ने वर्तमान संदभ में ग्रंथालय की महत्ता को बताया।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ. जे. दुर्गा. प्रसाद राॅव ने कहा कि भारत में ग्रंथालय विज्ञान के जनक की आज 130 वी जयंती है और ग्रंथालय विज्ञान के क्षेत्र में इनका योगदान भारत के साथ संपूर्ण विष्व मानता है। उन्होने कहा कि पुस्तकालय को दिनों दिन समृद्ध करना, उनका सदुपयोग करना चाहिए और विष्व की सबसे बडी लाइब्रेरी के बारे में जानकारी दी।
महाविद्यालय के प्रभारी ग्रंथपाल डाॅ. मालती साहू ने छात्रों को ग्रंथालय विज्ञान के जनक डाॅं. रंगनाथन के संक्षिप्त जीवन परिचय से अवगत करवाते हुए कहा कि वर्तमान युग को ई-संसाधनो का युग कहा जाता है और पेपरलेस ग्रंथालय की कल्पना की जा रही है। इसी तारतम्य में महाविद्यालय ग्रंथालय द्वारा सुविधाओ ंका विस्तार करते हुए हाइब्रिड लाइब्रेरी स्थापित की गयी है। जिसमें छात्रों को पुस्तकें एवं अन्य रिडिग मटेरियल भौतिक स्वरूप के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक स्वरूप में भी उपलब्ध है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के ग्रंथालय विभाग के श्री गौरव चैहान, श्री सचिन धगत, श्री मोन्टू चक्रवती एवं प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण, छात्र छात्राएॅं उपस्थित थे। समारोह का संचालन श्री डेविड राजू एंव धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. मालती साहू ने किया।