भिलाई. स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में पाया जाने वाला आम कैंसर है. 1990 में कैंसर के सभी मामलों में ब्रेस्ट कैंसर चौथे स्थान पर था. तीस साल बाद 2020 में यह पहले नम्बर पर आ गया है. ब्रेस्ट कैंसर की समय पर पहचान हो जाए तो मृत्यु के आंकड़ों को काफी कम किया जा सकता है. मैमोग्राफी की इसमें अहम भूमिका हो सकती है जो गांठ बनने से भी काफी पहले कैंसर का पता लगा सकती है. यह कहना है हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ प्रशांत कसेर का.
डॉ कसेर ने बताया कि स्तन कैंसर के मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत की बात करें तो 2020 में स्तन कैंसर के सभी मामलों में से 37.2 प्रतिशत महिलाओं की मौत इस रोग के चलते हो गई जो शेष एशिया के 34 प्रतिशत से अधिक है. अफसोस इस बात का है कि इन मौतों को रोका सकता है पर जागरूकता के अभाव में ऐसा नहीं हो पाता. दुनिया भर में स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए अक्तूबर माह को पिंक मंथ के रूप में मनाया जाता है.
डॉ कसेर ने बताया कि आम तौर पर महिलाएं स्तन में गांठ का आभास होने पर ही डाक्टर के पास आते हैं. पर ऐसे लोगों की संख्या भी काफी कम है. अधिकांश महिलाओं को गांठ का या तो पता ही नहीं चलता या फिर वे उसकी उपेक्षा करती हैं. यह लापरवाही भारी पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि 30-35 वर्ष की आयु से ही महिलाओं को अपने स्तनों की स्वयं जांच करनी चाहिए. महीने में एक या दो बार यह जांच करनी चाहिए. उसके बदलते आकार प्रकार, दबाने पर गांठ जैसा महसूस होना, निपल्स से रिसाव होना, जैसे लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं के परिवार में कैंसर के रोगी हों, उन्हें ज्यादा सचेत रहना चाहिए. 40 की उम्र के बाद ऐसी महिलाओं को मैमोग्राफी जांच करवानी चाहिए. मैमोग्राफी से कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं की पहचान गांठ बनने से भी काफी पहले हो सकती है.
लगातार बढ़ रहे मामले
छत्तीसगढ़ की बात करें तो 2015 में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के 428 मामले सामने आए थे. पिछले छह साल में छत्तीसगढ़ में कैंसर से हुई मौतों के आंकड़े लगातार बढ़ते गए हैं. 2014 में 14,472, 2015 में 15,231 से बढ़ते हुए 2019 में 18,000 मौतें कैंसर के कारण हुई हैं.