भिलाई। मानवता का परिचय देते हुए स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल की टीम राजनांदगांव के ग्राम घुंगेरी नवागांव पहुंची। यह मरीज एक सड़क हादसे का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल हो गया था जिसमें उसके साथी की मृत्यु हो गई थी। मरीज को बेहद गंभीर हालत में स्पर्श हॉस्पिटल लाया गया था। दो माह से भी अधिक के अथक प्रयासों के बाद कहीं जाकर मरीज की जान बच पाई थी। मरीज फिलहाल ठीक है और वाकर के सहारे चलने फिरने की कोशिश कर रहा है।स्पर्श के महाप्रबंधक ने बताया कि राजनांदगांव स्थित आईबी कंपनी के स्टाफ लोकेश कुमार धनकर को जब अस्पताल लाया गया तो उसका काफी खून बह चुका था। सिर, चेहरे और रीढ़ में गंभीर चोटें थीं। परिजनों ने उसके बच पाने की उम्मीद छोड़ दी थी। स्पर्श की टीम ने इसे एक चुनौती की तरह लिया। इस टीम में डॉ दीपक वर्मा, डॉ संजय गोयल, डॉ दीपक कोठारी, डॉ आदर्श त्रिवेदी शामिल थे। आईबी ग्रुप ने भी इस टीम की हरसंभव मदद की। किस्तों में एक के बाद एक मरीज की कई सर्जरियां करनी पड़ी। मरीज के ठीक होने पर उसकी फिजियोथेरेपी की गई। इसके बाद उसे हिदायतों के साथ छुट्टी दे दी गई। स्पर्श अपने मरीजों का फालोअप भी करता है। इसीके तहत सोमवार को वे अपने स्टाफ के साथ घुंगेरी नवागांव पहुंचे।
मौके पर उपस्थित आईबी ग्रुप के मैनेजर एचआर दीपेश ने बताया कि यह हादसा पिछले वर्ष दिसम्बर में हुआ था। दुर्घटना के बाद उत्तेजित ग्रामीणों ने दुर्घटना स्थल को घेर लिया था। उन्होंने उस ट्रक को आग लगा दी थी। उन्होंने मान लिया था कि दोनों युवकों की मौत हो चुकी है। इस हादसे में लोकेश की मोटरसाइकिल ट्रक में फंस गई थी और वह काफी दूर तक ट्रक के साथ घिसटता चला गया था। आईबी की टीम तत्काल पहुंची थी पर ग्रामीणों का आक्रोश देखकर अनिष्ट की आशंका से दूर ही खड़ी रह गई थी। काफी देर बाद जब ग्रामीणों ने लोकेश में हरकत देखी तो उसे अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की। तब जाकर आईबी के मैनेजर एचआर आगे आए। मरीज को पहले जिला अस्पताल और फिर स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। स्पर्श के कुशल चिकित्सकों की टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और मरीज को अंततः बचा लिया।
लोकेश के घर वालों ने बताया कि अब लोकेश अपने हाथों से अच्छे से खा-पी रहा है। वह स्वयं ही उठ बैठ लेता है और वाकर लेकर आंगन में चहलकदमी भी कर लेता है। उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। वह जल्द से जल्द ठीक होकर काम पर लौट जाना चाहता है। उन्होंने स्पर्श के चिकित्सकों एवं आईबी प्रबंधन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि उन्होंने दो बच्चों को अनाथ होने से बचा लिया।