दुर्ग। अनुसंधान की नवीन तकनीक से छात्रों को अवगत कराने व अनुसंधान को उचित दिशा प्रदान करने के लिए शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में देश व विदेश के कुल 365 प्रतिभागियों ने अपनी भागीदारी दी। कार्यशाला के मुख्य अतिथि बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एस.के. सिंग ने विषय वस्तु तथा शीर्षक को अत्यंत महतवपूर्ण बताते हुए कहा कि यह वास्तव में वर्तमान अनुसंधानकर्ताओं के लिए अत्यंत आवश्यक है कि वे अपने शोध के उचित एनालिसिस, के लिए एक निश्चित पद्धति का निर्धारण करें साथ ही एसपीएसएस व एनोवा के महत्व को बताया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आर्गेनाइजिंग सेके्रटरी डॉ अनिल कुमार के द्वारा कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ कांति चौबे विभागाध्यक्ष प्राणीशास्त्र के द्वारा स्वागत भाषण के साथ कार्यशाला को प्रारंभ किया गया। प्रथम दिन के प्रमुख वक्ता डॉ राजीव चौधरी प्रो. शारीरिक शिक्षा विभाग व डीन स्टूडेन्ट वेलफेयर ने बताया कि शोधार्थी अपने डाटा को विश्लेषण करने के लिए किस प्रकार उचित पद्धति का प्रयोग कर उसे सही दिशा प्रदान कर सकते हैं।
द्वितीय तकनीकी सत्र के प्रमुख वक्ता डॉ बिनायक दुबे, सहायक प्राध्यापक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहानियों के माध्यम से रिसर्च पैराडाइम अर्थात् अनुसंधान प्रारंभ करने व अनुसंधान के नजरियों से अवगत कराया कि किसी एक शोध को करने हेतु शोधार्थियों का नजरिया किस प्रकार होना चाहिए।
तृतीय तकनीकी सत्र में प्रमुख वक्ता डॉ ओ.पी. मिश्रा, सामली गुजरात विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक थे, जिन्होंने रिसर्च हेतु फंड प्रदान करने वाली सभी विषयों से संबंधित संस्था व प्रोजेक्ट सुव्यवस्थित तरीके से किस प्रकार लिया जाए इसके बारे में बताया, जो कि सभी क्षेत्र के शोधार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषय रहा।
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ आर.एन. सिंह के द्वारा सभी प्रतिभागियों के उत्साहवर्धन के साथ प्राणीशास्त्र विभाग के आयोजकों को सफलतापूर्वक संचालन हेतु बधाई दी गई। उनके अनुसार वर्कशॉप सभी शोधार्थियों के लिए लाभप्रद रहेगा।
वर्कषाप के समापन सत्र में डॉ अनिल कुमार आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी के द्वारा प्राप्त उद्देश्यों की पूर्णता पर व लभ्यता का उल्लेख करते हुए इस वर्कशाप को अंतर्राष्ट्रीय घोषित किया गया। इसमें देश के 20 राज्यों के साथ पोलेण्ड, जर्मनी व आस्ट्रेलिया के प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। धन्यवाद ज्ञापन कोर्डिनेटर डॉ अलका मिश्रा, सहायक प्राध्यापक प्राणीशास्त्र द्वारा दिया गया। इस वर्कशप में आर्गेनाइजिंग कमेटी के सदस्यों के रूप में डॉ उषा साहू, डॉ दिव्या मिंज, डॉ नीरू अग्रवाल, प्रो. मौसमी डे, डॉ संजू सिन्हा के साथ इवराज जंघेल की उपस्थिति उल्लेखित रही।