खपरी, दुर्ग। देवसंस्कृति कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी में योग मुद्रा से स्वास्थ्य पर सेमीनार का आयोजन किया गया। इसमें प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग मुद्राओं की जानकारी प्रदान की गई। साथ ही केरल की पिंक वाटर थेरेपी के बारे में भी बताया गया। इस सेमीनार का लाभ विद्यार्थियों के साथ ही टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ ने भी उठाया। महाविद्यालय की निदेशक ज्योति शर्मा की प्रेरणा तथा प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच के मार्गदर्शन में इस सेमीनार का आयोजन आईक्यूएसी द्वारा किया गया था।
नेचरलिस्ट एवं मुद्रा थेरेपिस्ट बी मोहन कुमार नायकर ने सेमीनार में प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि पूरे शरीर में ऊर्जा प्रवाहमान रहती है। ऊर्जा के इस प्रवाह को उंगलियों के सिरों से नियंत्रित किया जा सकता है। अंगूठा और अलग-अलग उंगलियों के संयोजन से हम अपने पाचन संस्थान, स्नायु संस्थान तथा हृदय को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने इन मुद्राओं के बारे में विस्तार से बताया।
मोहन कुमार ने केरला पिंक वाटर थेरेपी की जानकारी देते हुए बताया कि पाथीमुगम या सैप्पन वाटर का उपयोग केरल तथा तमिलनाडू में सैकड़ों वर्षों से किया जा रहा है। पश्चिमी देशों में भी इसपर शोध हुआ और अब यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है। पाथीमुगम एक पेड़ की छाल है जिसे पानी में उबालने पर पानी का रंग गुलाबी हो जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हार्ट डिजीज एवं पेट की बीमारियों को नियंत्रण में रखता है। तम्बाकू और शराब छुड़ाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। यह रक्तशोधन कर त्वचा की बीमारियों से बचाव करता है तथा सिर में रूसी के लिए भी रामबाण है।
इस एक दिवसीय स्वास्थ्य सेमीनार को सफल बनाने में प्राचार्य डॉ केएस गुरुपंच, आईक्यूएसी प्रभारी ममता शर्मा, शिक्षा संकाय की प्रभारी ज्योति पुरोहित, प्रीति पाण्डेय, रीना मानिकपुरी, वर्षा शर्मा, चित्ररेखा रघुवंशी, सरिता ताम्रकार, अर्चना पाण्डेय का महत्वपूर्ण योगदान रहा।