भिलाई। स्वरूपानंद महाविद्यालय में विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर ग्रंथालय सलाहकार समिति द्वारा पुस्तक वाचन का आयोजन किया गया। जिससे विद्यार्थी पुस्तक वाचन के महत्व को समझ सकें। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने विभिन्न साहित्यकारों की रचनाएं पढ़ीं तथा उससे मिली सीख को साझा किया। कुछ विद्यार्थियों ने कहा कि कहानी की पुस्तकें पढ़ने का उनका यह अनुभव नया है और वे भविष्य में कहानियां जरूर पढ़ेंगे क्योंकि इससे काफी कुछ जानने को मिलता है।
ग्रंथालय सलाहकार समिति की संयोजक मीना मिश्रा विभागाध्यक्ष गणित ने कहा कि किताबें हमारी सच्ची मित्र होती है जो ज्ञान हम वर्षो तक प्राप्त नही कर सकते वह पुस्तको के माध्यम से एक दिन में आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अपने संचित ज्ञान को दूसरी पीढ़ी तक पहुंचा सकते हैं। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियो को किताबो को पढने के लिए प्रेरित करना है। इस बार की थीम “हिंसा का मुकाबला करने में पुस्तको की भूमिका” है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने विश्व पुस्तक दिवस की बधाई दी और कहा कि इस दिन पुस्तकों और लेखकों के विश्व व्यापी शब्दावली अर्पित करने के लिये और सभी को पुस्तक पढने के लिये प्रोत्साहित करने का शपथ लिया जाता है। पुस्तक पढने से हमे जो ज्ञान मिलता है वह लेखक के ज्ञान व अनुभव का निचोड़ होता है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने ग्रंथालय सलाहकार समिति की सराहना करते हये कहा आज इन्टरनेट के कारण ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में विस्फोट हुआ है। जानकारी एकत्रित करने के अनेक साधन है पर जो ज्ञान हमें अपने हाथो में पुस्तक लेकर पढ़ने में मिलता है वह अन्यत्र संभव नही है। नियमित पुस्तक पढने वाला व्यक्ति अपने निर्णयों में दृढ़ और मजबूत होता है।
सहायक प्राध्यापक खूशबू पाठक, विभागाध्यक्ष प्रबंधन ने बताया आज मैंने प्रेमचंद की कहानी “कफन” पढ़ी कहानी से पता चलता है आर्थिक अभाव मे व्यक्ति कितना संवेदनहीन हो जाता है। सहायक प्राध्यापक उषा साहू, शिक्षा विभाग ने बताया पुस्तक हमारी सच्ची मित्र है जिस व्यक्ति को पुस्तक पढ़ने की आदत है उसे कभी भी समय काटने की समस्या नही रहती।
सहायक प्राध्यापक डॉण् मंजू कनौजिया, शिक्षा विभाग ने बताया पुस्तके सच्ची मार्गदर्शक है यह हमें कठिन परिस्थितियो में प्रेरणा देते है।
छात्र प्रवीण सूरी एमएससी चतुर्थ सेमेस्टर ने कहा आज मैंने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ पढ़ी। बहुत अच्छा लगा। हमारे किसान ठंड में ठिठुरते हुये भी हमारे लिये अन्न उपजाते हैं।
छात्र छबीलाल साहू एमएससी चतुर्थ सेमेस्टर ने बताया विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर उन्होंने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘मंत्र’ पढ़ा। लगा गरीब व्यक्ति में मानवीय संवेदना अधिक होती है।
छात्रा रीत कौर एमएससी चतुर्थ सेमेस्टर ने मन्जू भंडारी का उपन्यास ‘महाभोज’ पढ़ा। उन्होंने महसूस किया कि राजनीतिज्ञों ने जातिगत भेदभाव को किस तरह बढ़ावा देते है व लोगों की लाश पर बैठकर महाभोग करते हैं।
छात्रा अंजली बीबीए चतुर्थ सेमेस्टर ने ‘मलबे का मालिक’ कहानी पढ़ी जो भारत पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी पर मोहन राकेश द्वारा लिखी गई है। हिन्दू.मुस्लिम दंगो की आड़ मे लोग अपने स्वार्थ को पूरा करते है।
सभी विद्यार्थियो ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व पुस्तक दिवस पर हमने महाविद्यालय ग्रंथालय में उपलब्ध पाठ्यक्रम के अलावा साहित्यए अभिप्रेरक एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तको को पढ़ा तब हमे लगा इन पुस्तको को पढकर न केवल हम अपना ज्ञानवर्धन कर सकते है बल्कि हम जीवन मूल्य को अच्छे से समझ सकते है तथा पढाई के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर सकते है।