भिलाई। बाल साहित्य के अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर गोविन्द पाल ने आज विश्व हिन्दी दिवस पर एमजे कालेज में आयोजित कार्यक्रम में खूब रंग जमाया। उनकी चुटीली रचनाओं पर विद्यार्थी तो क्या महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर एवं प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे भी अपने ठहाके नहीं रोक पाए। विभिन्न विधाओं में साहित्य के रचेता श्री पाल ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का इस अवसर पर पाठ किया।
श्री पाल ने अपनी दीर्घ साहित्यिक यात्रा का वृत्तांत विद्यार्थियों के साथ साझा किया। संयुक्त राष्ट्र के लिए अनेकों रचनाओं का अनुवाद कर चुके श्री पाल की कृतियों का अनुवाद नेपाली सहित कई अन्य भाषाओं में भी हो चुकी है। शांतिनिकेतन विश्व भारती कोलकाता के विद्यार्थी रहे श्री पाल स्वयं भी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए अनेक सशक्त संदेश दिये। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कविता पढ़ चुके श्री पाल ने विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षकों का भी रचनासंसार से जुड़ने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि हिन्दी एक सागर की तरह है जिसमें सभी भाषाएं नदियों की तरह आकर समा जाती हैं। उन्होंने तकनीकी लेखन के क्षेत्र में हिन्दी अनुवाद के अवसरों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सहज स्वीकार्य शब्दों को हिन्दी में स्वीकार कर लेना चाहिए। इससे हिन्दी समृद्ध और सरल हो जाएगी।
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने इस अवसर पर अपनी स्वरचित कविता का पाठ किया। उन्होंने हिन्दी को जन-जन की भाषा बताते हुए कहा कि यह देश की मातृभाषा है। हम चाहे जितनी भी भाषाएं सीख लें पर यदि अपने राष्ट्र की भाषा से अंजान रहे तो उसकी उपयोगिता शून्य हो जाएगी। उन्होंने हिन्दी के क्षेत्र में शोध, लेखन और रोजगार के क्षेत्र में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की भी चर्चा की।
श्री पाल ने इस अवसर पर महाविद्यालय को स्वरचित पुस्तकों के साथ ही ग्रंथागार के लिए भी अनेक पुस्तकें एवं पत्रिकाएं भेंट कीं। उन्होंने सभी का आह्वान किया के वे इन पत्रिकाओं को पढ़ें तथा इसमें लिखने का भी प्रयास करें। इन पुस्तकों को महाविद्यालय के ग्रंथपाल प्रकाश चंद्र ने ग्रहण किया।
सहायक प्राध्यापक आराधना तिवारी, विद्यार्थी भारिका बम्बेश्वर, तुषारणी मारिया, रमन वैष्णव ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सहा. प्राध्यापक एवं साफ्ट स्किल ट्रेनल दीपक रंजन दास ने किया। आभार प्रदर्शन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ श्वेता भाटिया ने किया।