दुर्गः भारती विश्वविद्यालय में फारंेसिक साइंस विभाग के तत्वावधान में ‘चिकित्सकीय-विधिक न्याय-निर्णयन: पारंपरिक से आधुनिक दृष्टिकोण’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ. सुधीर यादव, सहायक प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, फारेंसिक साइंस विभाग, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर उपस्थित थे। उन्होंने विसरा की जांच एवं इसके विभिन्न स्तरों के बारे में बताया। साथ ही फारंेसिक जांच व इसके विधिक चरणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फारेंसिंक साइंस के बढ़ती लोकप्रियता के बारे में उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी क्षेत्रों में फारेंसिक साइंस की मांग बढ़ी है। फारेंसिक साइंस में कॅरियर की अपार संभावनाएं हैं।
आरंभ में प्रो. आलोक भट्ट, उप-कुलपति ने स्वागत भाषण, विषय प्रवर्तन और अतिथि का विस्तृत परिचय दिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. के.सी. दलाई, डीन विधि ने किया। इस कार्यक्रम की रूपरेखा व संवरण निशा पटेल, सहायक प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष फारेंसिक साइंस विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा साक्षी भांडेकर ने किया। इस आयोजन में डाॅ. स्वाति पाण्डेय, छात्र कल्याण अधिष्ठाता, डाॅ. राजश्री नायडू, डाॅ. दीप्ति पटेल, डाॅ. भावना जंघेल, डिंपल का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समस्त संकायों के शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
फारेंसिक विभाग द्वारा आयोजित की गई इस संगोष्ठी का समस्त शिक्षकों व छात्र-छात्राओं द्वारा सराहना की गई तथा वर्तमान में फारेंसिक साइंस के महत्व को स्वीकारते हुए आयोजकों को बधाई दी गई।
यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुशील चंद्राकर और कुलसचिव डाॅ. वीरेन्द्र कुमार स्वर्णकार के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ।