भिलाई। जगद्गुरु शंकराचार्य कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन भिलाई के आतंरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के तत्वाधान में महावीर जयंती के पावन अवसर पर “जैन धर्म का शिक्षा में महत्त्व” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें बी.एड. द्वितीय सेमेस्टर के गुलशन ने महावीर स्वामीजी के जीवन परिचय से सबको परिचित कराया। प्रशिक्षार्थी हरीश चंदेल ने जैन धर्म के पांच सिद्धांतों को विस्तार से समझाया, बी.एड. द्वितीय सेमेस्टर से योगेश ने महावीर स्वामी जी के मार्ग पर चलते रहने हेतु प्रोत्साहित किया, लावेन्द्र साहू ने महावीर स्वामी के जीवन के प्रत्येक पहलु का सुन्दर एवं संक्षिप्त वर्णन किया, ताम्रध्वज साहू ने स्वामी जी के जीवन काल में शिक्षा, गुरु शिष्य सम्बन्ध, स्वाध्याय पर चर्चा की एवं अभिषेक ने जैन धर्म के तीर्थंकारों, तीन रत्न- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान एवं सम्यक चरित्र, कर्म प्रधानता को विस्तार से समझाया. प्राचार्या डॉ. व्ही. सुजाता ने कहा जैन धर्म का शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान हैं. यह हमें अनुशासन, एकाग्र एवं नियंत्रण में भी रहना सिखाता हैं. आतंरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की संयोजीका मधुमिता सरकार ने छात्रों को शिक्षा के साथ -साथ धर्म, समाज, संस्कारों से सदैव जुड़े रहने हेतु प्रेरित किया. कार्यक्रम प्रभारी सहा. प्रा. अमिता जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं महावीर स्वामी के गृहस्थ जीवन, तपस्वी जीवन, मोक्ष प्राप्ति, जैन धर्म के नियम, ग्रन्थ, अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो के नारे का आशय को सब के समक्ष रखा। कार्यक्रम में समस्त स्टॉफ एवं प्रशिक्षर्थियों ने परिचर्चा के माध्यम से ज्ञान वृद्धि की.