भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक ऐसे युवक का सफल इलाज किया गया जो अपनी लापरवाही के चलते एक पैर गंवाने चला था. जब उसे अस्पताल लाया गया तो उसका बीपी बहुत कम था और धड़कनें लगभग दुगनी रफ्तार से चल रही थीं. सांस फूली हुई थी और लेटने पर दम घुट रहा था. इमरजेंसी में देर रात युवक की सर्जरी करनी पड़ी जो लगभग दो घंटे चली.
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आकाश बख्शी ने बताया कि आरंभिक जांच में यह बात सामने आई कि 32 वर्षीय इस युवक सुनील की बचपन में दिल में छेद की सर्जरी हुई थी. इसके बाद फालोअप को लेकर लापरवाही बरती गई और दवा का सेवन भी अनियमित ही रहा. बीच बीच में उसे तकलीफें होती रहीं जो अपने आप ही ठीक हो जाती थीं. इस बार मामला ज्यादा ही बिगड़ गया था. मरीज शराब पीने का आदी था जिसके कारण उसकी हालत कुछ ज्यादा ही खराब हो रही थी.
डॉ बख्शी ने बताया कि अस्पताल पहुंचने के कुछ ही घंटे बाद युवक के पेट और दाएं पैर में दर्द भी शुरू हो गया. छूने पर दाया पैर ठंडा महसूस हो रहा था. हार्ट की पंपिंग 15 से 20 प्रतिशत रह गई थी. युवक के फेफड़ों में पानी भर रहा था और आक्सीजन सैचुरेशन गिरकर 75 तक पहुंच गया था. जांच से पता चला कि उसके दाहिने पैर की मुख्य धमनी (right common iliac artery) 100 प्रतिशत बंद हो चुकी थी. इसके कारण दाहिने पैर में रक्त का प्रवाह रुक गया था. ज्यादा देर तक यह स्थिति बनी रहने पर उसे अपना पैर गंवाना पड़ सकता था.
मरीज को तत्काल मेडिकल अधीक्षक एवं सीवीटीएस सर्जन डॉ रंजन सेनगुप्ता को रिफर कर दिया गया. उन्होंने देर रात इमरजेंसी में ही उसकी सर्जरी शुरू कर दी. लगभग दो घंटे चली एस सर्जरी के बाद पैर में रक्तसंचार दोबारा शुरू हो गया. तापमान लौटने लगा और पैरों का हिलना डुलना भी प्रारंभ हो गया.
लगभग दो सप्ताह तक अस्पताल में रखने के बाद युवक को इस सख्त हिदायत के साथ छुट्टी दे दी गई कि वह नियमित रूप से दवा का सेवन करेगा और शराब से दूर रहेगा. उन्होंने बताया कि शराब को लेकर आम जनता में कुछ भ्रांतियां हैं जो इस रूप में भी सामने आती हैं. आम धारणा है कि हृदय रोगियों को थोड़ी-थोड़ी शराब पीनी चाहिए पर यह सही नहीं है. शराब पीने से दूसरी परेशानियां उभर कर सामने आ सकती हैं.