दुर्ग। शासकीय डाॅ. वामन वासुदेव पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अतिथि वक्ता के रूप में डाॅ. श्रद्वा चंद्राकर, सेवानिवृत्त प्राचार्य उपस्थित रही जो कि ‘‘वर्तमान संदर्भ में हिन्दी की प्रासंगिकता‘‘ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होने कहा कि हिन्दी के मानक स्वरूप को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी भी है और आवश्यकता भी है। हिन्दी बोलने वालों को हीनता का अनुभव नहीं करना चाहिए।
हिन्दी सांस्कृतिक, दार्शनिक, प्राकृतिक भाषा है। विश्व में प्रसिद्व है। हिन्दी में पारिभाषिक शब्दावली प्रशासनिक शब्द कोष, संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में शब्दकोष निर्मित हो चुके है। व्यापार के क्षेत्र में सिनेमा के क्षेत्र में ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी सबसे अधिक लोकप्रिय है। भाषा के विकास के लिए परिवर्तन को स्वीकार करना आवश्यक है। भाषा लचीली नही होगी, तो मृतप्राय हो जायेगी। हिन्दी भाषा को सशक्त भाषा के रूप में स्थापित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि हिन्दी दिवस पर हम आपस में हिन्दी का महत्व बताते हैं किन्तु पूरे भारत में भी हिन्दी का विशेष महत्व है। देश में नही अपितु विदेशों में हिन्दी के प्रति लगाव व स्नेह है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। डाॅ.यशेश्वरी धु्रव, विभागाध्यक्ष ने कहा कि हिन्दी हमारी भावों व संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का ही साधन नहीं है वरन् हमारी सभ्यता और संस्कृति की भी व्याख्या है। श्रीमती ज्योति भरणे ने कहा कि अभिव्यक्ति की तीव्रता और शैलियों की विविधता को अपने में समेटते हुए हिन्दी अपने उन्नत रूपों में प्रवाहमान है। इस प्रकार पर अर्चना, चंादनी, वर्षा देवांगन, लीना, डिकेश्वरी साहू, गुंजा, केशरी साहू, कुसुम धु्रव, चन्द्रसुधा, कुमाारी प्राची कौमार्य आदि ने कविता एवं भाषण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर हिन्दी परिषद के पदाधिकारियों को प्राचार्य द्वारा शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आरती राठौर ने तथा आभार प्रदर्शन किरण सोनबेर ने किया।