भिलाई। वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्कृत के मर्मज्ञ डा. महेश चंद्र शर्मा ने चार दशक की अथक सेवा के बाद 31 जुलाई 2021 को अवकाश प्राप्त किया। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय दुर्ग, वैशाली नगर महाविद्यालय, खुर्सीपार, मचान्दुर, उतई एवं राजनांदगांव के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य रहे। इस दौरान उन्होंने संस्कृत के विद्वान के रूप में देश-विदेश की अनेक यात्राएं कीं। उनका कार्यकाल अनेक उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा है।आचार्य महेशचन्द्र शर्मा ने तदर्थ सहायक प्राध्यापक संस्कृत के रूप में 13 दिसंबर 1979 को शासकीय सेवा में प्रवेश किया। वे शा.कला एवं विज्ञान महाविद्यालय दुर्ग में 25 वर्षों तक संस्कृत के प्राध्यापक रहे। इसी महाविद्यालय में वे प्रोफेसर से प्रिंसिपल पदोन्नत हुए। इसके बाद क्रमशः वैशालीनगर, खुर्शीपार, उतई एवं मचान्दुर शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य रहे। वीरांगना रानी अवन्ती बाई लोधी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय रामाटोला जिला राजनांदगांव से उनके कार्यकाल का आखिरी पड़ाव था। प्राचार्य डा.शर्मा हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कार्यपरिषद् के सदस्य भी थे।
डॉ महेश चंद्र शर्मा की 10 पुस्तकें प्रकाशित हैं। बड़ी संख्या में लेख, आलेख और शोधालेख राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर ससम्मान प्रकाशित हैं। भारत के बाहर भी एशिया, आस्ट्रेलिया एवं यूरोप के अनेक नगरों के सफल सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक भ्रमण किये हैं। प्रशासनिक सेवा के लिये चुने जाने पर भी उन्होंने उच्चशिक्षा को ही चुना। वे जिस-जिस कालेज में रहे विद्यार्थियों ने मेरिट, खेल, एनसीसी, एनएसएस, सांस्कृतिक और साहित्यिक हर क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किये।
उन्होंने ‘नेकी की दीवार’ और ‘जॉब प्लेसमेंट सेल’ जैसे प्रकल्प प्रारंभ किए जो खूब लोकप्रिय हुये। प्राचार्य रहते हुये भी उन्होंने कक्षायें लीं। इन्हीं गतिविधियों के कारण उनकी पदस्थापना वाले महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन में अच्छे ग्रेड्स मिले। डा. शर्मा की उल्लेखनीय सेवाओं के कारण उन्हें ज्ञानज्योति अलंकरण, सृजन शिक्षक सम्मान, राष्ट्रभाषा अलंकरण, अक्षरचेतना सम्मान, अस्मिता शंखनाद सम्मान एवं आउट स्टेण्डिंग प्रिंसिपल अवार्ड आदि से नवाजा गया। उच्च शिक्षा विभाग छ.ग. शासन ने भी डॉ शर्मा को संस्कृत शिक्षा के लिये सम्मानित किया।
वर्तमान कालेज में डॉ शर्मा ने पठन-पाठन के साथ-साथ कोरोना से बचानेवाले मास्क, सेनेटाइजर और हैण्डवाश आदि का वर्षभर निःशुल्क वितरण महाविद्यालय परिवार में किया। इस कार्य में श्रीमती गौरी शर्मा ने भी उनका साथ दिया।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ शर्मा ने कालेज को पीपल के तीन पौधे भी सौंपे। प्रो.श्रीमती रंजना राम ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। इस मौके पर प्रो. टी. ठाकुर एवं डा. मनोज रंगारी ने भी अच्छे विचार रखे। शशिचन्द्र लिखार, कुलेश मण्डावी, मंगल दास और जितेन्द्र वर्मा समेत महाविद्यालय परिवार उपस्थित था।