दुर्ग। शासकीय तामस्कार विज्ञान महाविद्यालय के समाजशास्त्र परिषद् के तत्वाधान में स्नातकोत्तर के दोनों सेमेस्टर के विद्यार्थियों द्वारा विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार चौबे ने कहा कि आदिकाल से भारतीय संस्कृति में स्त्री-पुरुष के बीच कार्यों के आधार पर खिची गई विभाजन रेखा आज जेंडर असमानता के रूप में हमारे सामने है। जो परवरिश के दौरान लड़के लड़कियों में घुट्टी के रूप में पिला दी जाती है। उन्होंने कहा कि इसी सोच के तहत लड़कियां स्वयं को घर के काम तक सीमित कर लेती हैं और लड़के बाहर। इस तरह का भेदभाव का बीज समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है। अतः लड़कियों को समान होने के लिए पहले स्वयं का विश्लेषण कर अपनी पुरानी मान्यताओं को तोड़ना होगा कि कार्य तो कार्य तो होता है लैंगिक नहीं।
डॉ. अश्विनी महाजन ने अपने अनुभव के आधार पर विद्यार्थियों से यह साझा किया कि नकारात्मकता को जीवन में आने नहीं देना चाहिए और आगे बढ़ने के लिए खुद को प्रयास करना चाहिए। संघर्ष के बीच से ही सफलता की राहे निकलती हैं। संघर्ष और परिश्रम से किसी भी मुकाम को प्राप्त किया जा सकता हैं।
डॉ. सुचित्रा शर्मा ने कहा कि आज जेंडर असमानता समाज के लिए अभिशाप है। इसके लिए आवश्यक है कि लड़कियां स्वयं का विश्लेषण करें, अपने गुणों का आकलन करें, अपनी क्षमता को पहचाने ताकि महिला दिवस केवल एक दिन का ना होकर वर्षभर चरितार्थ होना चाहिए।
विद्यार्थियों के बीच से कुमारी जूही ठाकुर और सौरभ साहू ने भी अपने विचार व्यक्त किए। ज्योति सिंह ने कविता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में दोनों सेमेस्टर के विद्यार्थी उपस्थित थे। सभी ने प्राध्यापकों को यह आश्वासन दिया कि वह जेंडर असमानता को दूर करने के लिए अपने आपको वैचारिक रूप से मजबूत करेंगे।