भिलाई। एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन ने अपना 22वां स्थापना दिवस मनाया. इस अवसर पर दो दशक से लंबी अपनी यात्रा का जश्न मनाया गया. कथावाचक पंडित कान्हाजी महाराज की अगुवाई में संकटमोचन महाबलि श्रीहनुमान की पूजा अर्चना की गई. सुन्दरकांड का पाठ किया गया. 2001-02 में प्रारंभ हुआ एमजे कालेज अब एक विशाल वटवृक्ष की तरह तन कर खड़ा हो गया है जिसमें लगभग सभी विषयों का अध्यापन हो रहा है.
समूह के निदेशक अभिषेक गुप्ता ने बताया कि औपचारिक शिक्षा का सीधा संबंध रोजगार से है. यदि शिक्षा रोजगार से नहीं जुड़ पाएगी तो वह बहुत जल्द अप्रासंगिक हो जाएगी. सत्र 2001-02 में एमजे कालेज की स्थापना की गई. डीसीए, पीजीडीसीए, बीसीए एवं बीएससी कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई शुरू की गई. एक-एक कर इसमें विषय जुड़ते चले गए. आज महाविद्यालय में बी.कॉम, एम.कॉम, बीबीए, बीएससी – पीसीएम, कम्प्यूटर साइंस, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी के साथ ही एमएससी-फिजिक्स, मैथ्स एवं कम्प्यूटर साइंस के अध्ययन की सुविधा है. इसके साथ ही महाविद्यालय के शिक्षा संकाय में बीएड, एमएड और डीएलएड संचालित हैं. 2008-09 में एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की स्थापना की गई. इसमें बीएससी नर्सिंग एवं जीएनएम जैसे कोर्स संचालित हैं. 2017 में फार्मेसी कालेज की भी स्थापना कर दी गई. यहां बी-फार्मा एवं डी-फार्मा जैसे विषयों की पढ़ाई होती है. 2020-21 में एमजे स्कूल की स्थापना न्यू आर्य नगर में की गई.
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने बताया कि महाविद्यालय शिक्षण की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. आईएसओ 2001 प्राप्त एमजे कॉलेज को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने B++ ग्रेड से नवाजा है. इससे हमारा उत्साह बढ़ा है और महाविद्यालय और भी ज्यादा ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है. महाविद्यालय में उच्च शिक्षित एवं अनुभवी प्रोफेशनल टीचर्स की समर्पित टीम है. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमीनारों का आयोजन करने के साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के साथ महाविद्यालय ने शिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए MoU भी किया है. नर्सिंग में जहां शत प्रतिशत प्लेसमेंट कैम्पस में ही हो जाते हैं वहीं अन्यान्य विषयों के लिए भी कैम्पस ड्राइव का आयोजन किया जाता है ताकि विद्यार्थियों के हाथों में डिग्री आने से पहले ही उनके हाथ में एक नियुक्ति पत्र अवश्य हो.
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल चौबे ने बताया कि विद्यार्थियों को शोध से जोड़ने की हर संभव कोशिश की जा रही है. शोध को पीएचडी तक सीमित रखने के बजाय उसे ही करियर विकल्प के रूप में स्थापित करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं.
इस अवसर पर तीनों महाविद्यालयों के प्राचार्य क्रमशः डॉ अनिल कुमार चौबे, डॉ विजेन्द्र सूर्यवंशी एवं प्रो. डैनियल तमिल सेलवन, शिक्षा संकाय की प्रभारी डॉ श्वेता भाटिया सहित शिक्षकीय एवं गैर शिक्षकीय स्टाफ मौजूद था.