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रायगढ़ में पंचकर्म से असाध्य रोगों का इलाज

Nov 10, 2014

shirodharaरायगढ़। शासकीय जिला चिकित्सालय परिसर में संचालित आयुर्वेद विभाग के आयुष विंग द्वारा कई प्रकार के असाध्य रोगों का ईलाज नि:शुल्क किया जा रहा है। जिसका लाभ रोजाना सैकड़ों मरीज उठा रहे है। हर प्रकार के जटिल गठियावात, दमा, चर्मरोग, मोटापा, अम्लपित्त, कब्ज, लकवा, मधुमेह, महिलाओं को होने वाले कष्टआर्तव, श्वेत रक्त प्रदर एवं प्रजनन संबंधी बीमारी के इलाज में पंचकर्म बेहद कारगर है। आयुष विंग में पंचकर्म के लिए शिरोधारा यंत्र, सर्वांग स्वेदन यंत्र (सीटिंग एवं लाइनिग) के अलावा नाड़ी स्वेदन यंत्र, बस्ती यंत्र व नस्य चेयर उपलब्ध है।
आयुष विंग के प्रमुख विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अमित कुमार मिश्रा बताते है कि यहां सभी प्रकार के रोगों की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। आयुर्वेद पद्धति के माध्यम से सभी आयु वर्ग का इलाज रोग और रोगी की प्रकृति के आधार पर किया जाता है। इलाज में शोधन और शमन पद्धति का प्रयोग होता है। पंचकर्म, शोधन पद्धति के अंतर्गत आता है, जबकि शमन पद्धति के अंतर्गत रोगी को आयुर्वेदिक दवाएं एवं काढ़ा आदि का सेवन कराया जाता है। पंचकर्म के जरिए शारीरिक एवं मानसिक बीमारी के इलाज में सहूलियत होती है। शारीरिक बीमारी में गंभीर प्रकार का गठिया वात, दमा, मोटापा, चर्मरोग, कब्ज, अम्ल पित्त, लकवा, मधुमेह, महिलाओं में यौन रोग, प्रजनन संबंधी विकार आते हैं। मानसिक बीमारी में अवसाद, उद्वेग, आईबियस, अनिद्रा, नपुसंकता जैसे रोग शामिल है। मानसिक बीमारी को दूर करने के लिए मरीज को शिरोधारा एवं शिरोबस्ती कराया जाता है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि वर्तमान समय में साइनो साइटिस (एलर्जी) तथा बच्चों में लर्निंग एण्ड बिहेविरियल डिसआर्डर की बीमारी बढ़ती जा रही है। इसका प्रभावी इलाज आयुष विंग में उपलब्ध है। इसके लिए मरीज को दवाएं देने से पूर्व पंचकर्म शिरोधारा कराया जाता है। आयुष विंग में विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. मिश्रा के साथ मेडिकल आफिसर डॉ. मीरा भगत, एक फार्मासिस्ट, तीन पंचकर्म सहायक (जिसमें 2 पुरूष एवं एक महिला) तथा औषधालय सेवक की टीम कार्यरत है। पंचकर्म में वमन, विरेचन, आस्थापन, अनुवाशन एवं नस्य का प्रयोग होता है। इलाज के लिए मरीज की औषधि युक्त तेल से मालिश की जाती है एवं स्टीमबाथ दिया जाता है यानि स्नेहन और स्वेदन के जरिए उपचार शुरू किया जाता है। डॉ. मिश्रा के अनुसार वात से पीडि़त रोगी का आस्थापन एवं अनुवाशन कराया जाता है, जबकि पित्त प्रकृति के रोगी को इलाज से पूर्व विरेचन कराया जाता है। कफ से पीडि़त मरीज को सर्वप्रथम वमन कराकर आगे का इलाज करते है। रोग एवं रोगी की प्रकृति के अनुसार खान-पान एवं आहार-विहार की सलाह दी जाती है। आयुष विंग में सभी रोगों का इलाज पूर्णत: नि:शुल्क होता है। दवाएं भी नि:शुल्क दी जाती है।

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