नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यक विरोधी बयानों पर अपने मंत्रियों, भाजपा नेताओं और संघ को सीधा संदेश दिया है! अपनी सरकार का एक साल पूरा होने पर दिए ताजा इंटरव्यू में मोदी ने संघ नेताओं के अल्पसंख्यक विरोधी बयान को ‘गैरजरूरी’ करार दिया। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी। किसी समुदाय के प्रति भेदभाव सहन नहीं किया जाएगा। संविधान सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। Read More
न्यूज एजेंसी यूएनआई को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा, ‘कुछ दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां की गईं, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। हमारा संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उधर, मोदी के बयान से आरएसएस ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ा है कि यह उनके संदर्भ में नहीं कहा गया है।
मोदी ने कहा, मैंने यह पहले भी कहा है और फिर कह रहा हूं। किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस पर मेरी राय साफ है- ‘सबका साथ, सबका विकास।’ हम सभी 1.25 करोड़ भारतीयों के साथ खड़े हैं और हर एक के विकास के लिए काम करेंगे। देश में हर पंथ को बराबर के अधिकार है। यह बराबरी सिर्फ कानून ही नहीं, समाज में भी है। मेरी सरकार का फोकस गवर्नेंस पर है।’
मोदी ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष के विरोध को ‘राजनीति से प्रेरित’ करार देते हुए कहा कि जब पिछली सरकार यह विधेयक लाई थी तो बीजेपी ने इसकी खामियों के बावजूद किसानों के हित में इसका समर्थन किया था। मोदी ने कहा, ‘उस समय हमने यह सोचकर इसका समर्थन किया था कि इससे किसानों का हित होगा।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश का बुरा वक्त बीत चुका है और अच्छे दिन आ गए हैं, लेकिन कुछ लोग सरकार के कामों को धूमिल करने में जुटे हुए हैं। मोदी ने कहा, ‘अच्छे दिन आ चुके हैं लेकिन कुछ लोग हमारे कामों को धूमिल करने में लगे हैं।’
गुड़ खाओ, गुलगुले से परहेज करो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की होशियारी पर कोई संदेह नहीं है। संघ और भाजपा के मुखर नेताओं की संप्रदाय विरोधी टिप्पणियों की फसल काटने से तो उन्हें कोई परहेज नहीं है किन्तु अपनी सर्वधर्म समभाव छवि को भी बरकरार रखना उन्हें खूब आता है। संघ और भाजपा नेताओं की टिप्पणी जहां साधारण मतदाताओं को खुश करती है वहीं उनके बोल कथित बुद्धिजीवियों को प्रसन्न करने वाले होते हैं।