इंदौर। ग्राम बिहाडिय़ा के घोड़ों में खतरनाक बीमारी फैल गई है। भैरोसिंह राठौर के यहां चार घोड़ों में जानलेवा ग्रिंडर्स बीमारी के लक्षण मिले थे। घोड़ों के खून के सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार भेजे थे। यहां से रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। अब इन घोड़ों को मारकर दफ्न किया जाएगा। यह बीमारी मनुष्यों में न फैले, इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं। यह बीमारी इतनी खतरनाक होती है कि संक्रमण के माध्यम से मनुष्य में बीमारी फैल जाए तो इससे मौत भी हो सकती है। पशु चिकित्सा विभाग को गर्वमेंट ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार पांच किलोमीटर तक के 100 फीसदी और 10 किलोमीटर तक के दायरे के 50 फीसदी घोड़ों के सेंपल लेना है। पशु चिकित्सकों ने इस रेंज में आने वाले 31 गांव से 100 से अधिक फिजिकल व सीरम सैंपल लेकर भेजे हैं। पहली रिपोर्ट आने के बाद दोबारा सैंपल भेजे जाएंगे। गाइडलाइंस के अनुसार घोड़ों के अस्तबल में जो लोग काम करते हैं व उनकी देखरेख करते हैं, उनके सैंपल स्वास्थ्य विभाग को लेना है।
घोड़ो में बीमारी का इलाज नहीं है। इन घोड़ों को मारकर 10 फीट गहरे गड्ढे में दफ्नाना पड़ता है और उसके ऊपर से चूना डालकर गड्ढा बंद करना पड़ता है। यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि मरे हुए घोड़ों को अन्य दूसरा जानवर न खा सके।
मनुष्य में इस रोग के लक्षण : शरीर पर गांठे पडऩे के बाद पस निकलना। शरीर में अकडऩ, हाथ पैर न उठा पाना। नाक में से पानी लगातार बहते रहना। छाती व मांसपेशियों में दर्द बना रहना।