दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में ‘जेण्डर एवं जेण्डर भाव’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में पुलिस काऊंसलर, लेखिका, कवि, विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भिलाई की डॉ. श्रीमती अंजना श्रीवास्तव, आमंत्रित थी उन्होंने ‘जेण्डर एवं जेण्डर भाव’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जेण्डर शब्द इसी समाज की देन है। समाज ने समाज के द्वारा एवं समाज के लिए बनाई गयी सामाजिक व्यवस्था है। डॉ अन्जना ने कहा कि स्त्री और पुरूष में कोई भेद नहीं है। ये हमारी मानसिकता है, जिसे कपड़े, खिलौने, कार्य तथा व्यवहार से अलग कर रहे हैं। उन्होंने जेण्डर शब्द को परिभाषित करते हुए कहा कि जेण्डर शब्द स्त्री पुरूष नही बल्कि अंग्रेजी शब्द सेक्स से है, जिससे मनुष्य की पहचान होती है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंग ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि महिला एवं पुरूष ईश्वर का रूप है। प्राचीनकाल में स्त्री पुरूष में कोई भेद नही था यह मध्यकालीन संस्कृति की देन है। पद्मश्री फूलबासन यादव आज महिला सशक्तिकरण का पर्याय बन गई है। छात्राएं किसी भी मायने में अपने को कम न समझे। अपनी विशेषता को पहचानने वाले ही नेतृत्व करते है।
यह कार्यक्रम महाविद्यालय के इक्वल अपार्चुनिटी एण्ड जेंडर सेन्सिटाइजेशन कमेटी के द्वारा अयोजित किया गया था। कमेटी के संयोजक डॉ. कमर तलत ने कहा कि जेंडर का संबंध महिला पुरूष के बीच सामाजिक तौर पर होने वाले फर्क से है, जेण्डर हमें सामाजिक भेदभाव को समझने का नजारिया देता है।
महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. सुचित्रा शर्मा ने कार्यक्रम संचालन करते हुए बताया कि जेण्डर सामाजिक सांस्कृतिक संरचना है जो एक गुलदस्ता की तरह होता है। ये ईश्वर की सुंदर कृति है।
अंत में आभार प्रदर्शन समाज शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. सपना शर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में समिति के सदस्य डॉ. तरलोचन कौर, डॉ. जी.एस. ठाकुर, डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी, डॉ. मीना मान, डॉ. रचिता श्रीवास्तव, प्रो. जनेन्द्र दीवान तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राऐं उपस्थित थे।