दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तमस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा जनकवि नागार्जुन की जयंती के अवसर पर ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें अतिथि वक्ता डॉ अशोक कुमार तिवारी, डॉ. अंजन कुमार तथा डॉ रजत कृष्ण के साथ महाविद्यालय के प्राध्यापक श्री थानसिंह वर्मा ने नागार्जुन के जीवन और साहित्य पर महत्त्वपूर्ण वक्तव्य दिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अभिनेष सुराना ने आयोजन के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए दृष्य-पटल पर उपस्थित वक्ताओं और श्रोताओं का हिन्दी विभाग की ओर से स्वागत किया तत्पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन.सिंह ने बाबा नागार्जुन की जीवनी और रचनात्मकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन कवि के रूप में कबीर के बाद नागार्जुन को जाना जाता है उन्होंने स्वयं कहा है कि जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाऊं हूं जन कवि हूँ मैं क्या झुठ्लाऊं। अधिकारिक वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. अशोक तिवारी ने कहा कि नागार्जुन कि मानवीय दृष्टि और सरोकार प्रकृति से लेकर मनुष्य और मनुष्य से लेकर मानवेत्तर जीव जंतु तथा जीव जंतु से वस्तु तक पहुंचती है। उनकी जीवंतता की गर्माहट कि आंच उनके प्रत्येक काव्यवस्तु में महसूस किया जा सकता है। डॉ अंजन कुमार ने कहा कि नागार्जुन की कविता अपने आप से निकलकर जीवन जगत को तर्कपूर्ण ढंग से समझने और उससे जुड़ने की रागात्मक यात्रा है। उनकी कविताएं हमारे समय के संकट को अभिव्यक्त ही नहीं करती बल्कि उसे देखने और समझने की एक व्यापक दृष्टि भी विकसित करती है। बागबाहरा के युवा कवि और आलोचक डॉ. रजत कृष्ण ने नागार्जुन की लोकवादी दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि बाबा नागार्जुन विविधतावादी रचनाकार के साथ प्रयोगधर्मी भी हैं उनकी रचनाओं में भारत का गांव और भारत का लोक उभरता है उनकी कविताओं में आमजन की व्यथा पूरी संवेदना के साथ व्यक्त हुयीं है। महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक थानसिंह वर्मा ने नागार्जुन की राजनीतिक चेतना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन पक्षधर कवि नागार्जुन को राजनीति की गहरी समझ थी पर कुछ अपवादों को छोड़कर वे हमेशा सत्ता के प्रतिरोध में कविता लिखते रहें। कार्यक्रम के अंत में डॉ शंकर निषाद ने अतिथि वक्ता तथा पटल पर उपस्थित श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. बलजीत कौर डॉ जयप्रकाश डॉ. कृष्णा चटर्जी के साथ महाविद्यालय के स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। डॉ. सरिता मिश्रा एवं कुमारी प्रियंका यादव ने अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया तथा डॉ रजनीश उमरे ने कार्यक्रम का संचालन किया।