दुर्ग. शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा 15 दिवसीय छत्तीसगढ़ की विलुप्त आंचलिक कला मटपरई की प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. समापन समारोह विधायक अरूण वोरा के मुख्य आतिथ्य, महापौर धीरज बाकरीवाल के विशेष आतिथ्य तथा प्राचार्य डाॅ. आरएन सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ. समारोह में मृतप्राय मटपरई कला के शिल्पकार अभिषेक सपन एवं टेराकोटा एवं सेरेमिक आर्ट की प्रशिक्षक प्रज्ञा नेमा को सम्मानित किया गया. सत्र 2021-22 के सर्वश्रेष्ठ छात्रा रेणुका साहु एवं भारती देवांगन को भी पुरस्कृत किया गया.
इतिहास विभाग के अध्यक्ष डाॅ. अनिल कुमार पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास विभाग छत्तीसगढ़ की आंचलिक कलाओ के संरक्षण के लिए प्रतिबध्द है और ये प्रयास आगे भी जारी रहेगा. इस अवसर पर मटपरई कला के प्रषिक्षक अभिषेक सपन ने कहा कि मटपरई कला को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्रदान करना मेरे जीवन का लक्ष्य है, महाविद्यालय ने मुझे अवसर दिया इसके लिए मै हृदय से उनका धन्यवाद देता हूॅं. कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डाॅ. आर. एन. सिंह ने इस अवसर पर इतिहास विभाग को बधाई दी एवं उनके प्रयासो को अत्यंत सार्थक बनाया. समारोह के मुख्य अतिथि अरूण वोरा जी ने कहा कि वह इस मटपरई कला के सुन्दर स्वरूप को देखकर आश्चर्य चकित है और उन्हे विष्वास है कि यह कला, छत्तीसगढ़ अंचल के गौरव का सम्पूर्ण विश्व में विस्तार करेगी. दुर्ग शहर के महापौर धीरज बाकरीवाल ने कहा कि शासन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की अंाचलिक कलाओ को पुर्नजीवित करना है. जिसके लिए यह कार्यशाला निश्चय ही सहायक सिध्द होगी. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन इतिहास विभाग के नवनिर्वाचित अध्यक्ष रविशंकर मारकण्डे द्वारा किया गया.