अंडा, दुर्ग. ऊर्जा संरक्षण दिवस 14 दिसंबर को शैलदेवी महाविद्यालय, छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) एवं ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के संयुक्त तत्वाधान में वृहद रूप से मनाया गया. इसका थीम था – “ऊर्जा संरक्षण की करे पहल तभी बनेगा बेहतर कल’. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो भारत सरकार की एक एजेन्सी है जो ऊर्जा दक्षता की सेवाओं को संस्थागत रूप देता है. एनर्जी ऑडिटर संजय कुमार मिश्रा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. अध्यक्षता शैलदेवी महाविद्यालय के अध्यक्ष राजन कुमार दुबे ने की.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों के माध्यम से सर्व साधारण को ऊर्जा के महत्व, उसके संधारण, संरक्षण एवं सदुपयोग के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करना था जो अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि जीवन के मूल में ऊर्जा सन्निहित है अतः “ऊर्जा बिन सब सून” उक्ति सत्य प्रतीत होती है. इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकायों में अध्ययनरत विद्यार्थियों द्वारा पोस्टर एवं मॉडलों (प्रतिकृतियों) के माध्यम से उर्जा निर्माण एवं संरक्षण को विभिन्न विधियों द्वारा सारगर्भित रूप से प्रस्तुत किया गया.
मुख्य अतिथि श्री मिश्रा ने कहा कि हमें ऊर्जा का प्रयोग बड़ी सावधानी एवम् सजगता से करना चाहिए क्योंकि ऊर्जा हमें जीवन देती है तो जीवन लेती भी है. अधिकाधिक प्राकृतिक प्रकाश एवं ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए. इस हेतु छत्तीसगढ़ शासन क्रेडा के माध्यम से अनेक सुविधाएं व छूट प्रदान कर रही है और इस पर अनेक योजनाएं भी लागू है.
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री दुबे ने बताया कि ऊर्जा जीवन का एक महत्वपूर्ण तत्व है जिसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, चाहे वह प्राकृतिक हो अथवा कृत्रिम. संयमित उपयोग कर बचत करें ताकि भविष्य में वह हमारे काम आए. इस कार्यक्रम में पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता में पूर्वी (बी.एस.सी. बी.एड. प्रथम वर्ष) ने प्रथम स्थान, भूषण (बी.एस.सी. बी.एड. प्रथम वर्ष) ने द्वितीय स्थान व आदर्श कुमार (डी. एल. एड. प्रथम वर्ष) तथा देविका (बी.एस.सी तृतीय वर्ष) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. वहीं मॉडल निर्माण प्रतियोगिता में निखिल जोशी ( बी. एड. प्रथम सेमेस्टर)ने प्रथम स्थान, कोमल (आई.टी.आई. कोपा) ने द्वितीय स्थान व अंश पटेल ( बी. एस. सी. बी. एड. द्वितीय वर्ष ) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. इस विषय पर बीएड फर्स्ट सेम. के विद्यार्थियों द्वारा एक नुक्कड़ नाटक का भी मंचन किया. इस कार्यक्रम में उर्जा संरक्षण एवम् समुचित उपयोग पर प्रमुखता से बल दिया गया. इस कार्यक्रम की सफलता में सभी शैक्षणिक/गैरशैक्षणिक एवम् प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सदस्यों का सहयोग सराहनीय रहा.