भिलाई। पेम्फिगस वल्गारिस एक दुर्लभ रोग स्थिति है जिसमें पूरे शरीर पर मुंह, गुदा एवं जननांगों तक में फफोले पड़ जाते हैं. यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसका पूर्ण इलाज संभव नहीं है. पर औषधियों के नियमित प्रयोग से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है. बालोद जिले के मासूल गांव की यह मरीज पिछले लगभग तीन साल से इससे जूझ रही थी. उसे अत्यंत गंभीर स्थिति में हाइटेक लाया गया था. इलाज के बाज आज उसे हिदायतों के साथ सकुशल घर भेज दिया गया.
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी एवं कॉस्मेटोलॉजी की डॉ गरिमा बालपाण्डे ने बताया कि हालांकि यह एक त्वचा रोग है पर इसकी उग्र स्थिति जीवन के लिए जोखिम पैदा कर देती है. इसमें पूरे शरीर पर फफोले पड़ने लगते हैं जो आसानी से फूट जाते हैं. मरीज ने बताया कि उसे पिछले लगभग तीन साल से समस्या है जिसका इलाज चल रहा था. पर जब फफोले मुंह के भीतर भी आने लगे तो खाना पीना मुश्किल हो गया. मरणासन्न स्थिति में उसे अस्पताल लाया गया.
मरीज को अस्पताल में दाखिल कर सघन निगरानी में दवाइयां दी गईं. स्थिति संभलने के बाद अब उसे केवल मुख से लेने वाली औषधि दी जानी है. इसलिए मरीज को इस हिदायत के साथ छुट्टी दे दी गई कि वह एक दिन के लिए भी औषधि का सेवन करना न भूले वरना स्थिति पुनः बिगड़ सकती है.
डॉ गरिमा ने बताया का पूरी दुनिया में प्रति एक लाख लोग 1 से 3 लोगों को यह शिकायत होती है. रोग की पहचान जटिल है इसलिए अधिकांश मरीजों में इसकी शिनाख्त बहुत देर से हो पाती है. चूंकि यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है इसलिए रोग को काबू में रखने के लिए कुछ औषधियों का सेवन लगातार करना होता है. हाइटेक पहुंचने वाली पेम्फिगस की यह चौथी मरीज थी. इस मरीज की हालत काफी बिगड़ी हुई थी. भोजन बंद होने के कारण मरीज काफी कमजोर हो चुकी थी.