दुर्ग. शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा फैकल्टी डेवलपमेंट एवं कौशल विकास उन्नयन कार्यक्रम के अन्तर्गत दस दिवसीय बंास शिल्प प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन 20 फरवरी को प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह द्वारा किया गया. उन्होंने कौशल विकास पर जोर देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत कौशल विकास को सरकार द्वारा काफी महत्व दिया जा रहा है.
डॉ सिंह ने कौशल केे महत्व को बताते हुए बुनियादी शिक्षा और जीवन यापन के लिए कौशल विकास में अंतर बताया. उन्होंने विविध उदाहरणों के माध्यम से कौशल विकास के महत्व से अवगत कराते हुए बांस शिल्प कार्यशाला में विधार्थियों को भाग लेने के लिए प्रेरित किया.
स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. अनिल कुमार पाण्डेय ने कहां कि इतिहास विभाग विभिन्न शिल्प प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन सतत् करते आ रहा है. जिनका मूल उद्देश्य छ.ग. की कला, संस्कृति एवं पुरावशेषों का संरक्षण करना एवं विद्याथर््िायों में कौशल विकास है. बांस शिल्प प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से देश एवं राज्य के ऐतिहासिक ईमारतों जैसे भोरमदेव, राजीव लोचन मंदिर, इंडिया गेट, कुतुबमीनार तथा आदिवासी संस्कृति की जीवन शैली को बांस शिल्प के माध्यम से अंलकृत किया जायेगा.
कार्यशाला के प्रशिक्षक तथा बांस शिल्प के सुप्रद्धि युवा कलाकार रामकुमार पटेल ने सभी विद्यार्थियों को भाग लेने के लिए धन्यवाद देते हुए बांस शिल्प कला में लगने वाले समय एवं उनकी विशेषताओं को बताते हुए कहा कि एक संरचना को बनाने के लिए कम से कम वे 17 घण्टे प्रतिदिन काम करते है तभी एक उत्कृष्ट कला संरचना का निर्माण संभव हो पाता है. विभाग के प्राध्यापक, डाॅ. ज्योति धारकर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया कार्यक्रम में डाॅ. लक्ष्मीकांत भारती, डाॅ. कल्पना अग्रवाल, कमल किशोर बंाधे, राम किशोर तथा अन्य प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.