दुर्ग. भारती विश्वविद्यालय में समाजकार्य विभाग और भूगोल विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘व्यक्तित्व विकास में शिक्षा की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ. के. एल. तांडेकर, प्राचार्य शासकीय दिग्विजय काॅलेज, राजनांदगांव ने अपना वक्तव्य दिया. उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व को निखारने व संस्कारवान बनाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है.
डॉ तांडेकर ने कहा कि व्यक्तित्व की अवधारणा विशिष्ट विचार, भावनाएं और व्यवहार से मिलकर बना है. शिक्षा स्मृति और सोच कौशल को बढ़ाने में मदद करती है, शिक्षा व्यक्तित्व को सहज और सरल बनाती है, तथा आपके व्यक्तित्व में सकारात्मकता भर देती है. उन्होंने कहा कि शिक्षा आपके जीवन को संतुलित रखने में आपकी मदद करती है.
आरंभ में समाजकार्य विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. निशा गोस्वामी ने विषय प्रवर्तन किया. प्रो. आलोक भट्ट डीन अकादमिक ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. डाॅ. कुबेर गुरूपंच ने स्वागत भाषण दिया और डाॅ. राजश्री नायडू ने मुख्य अतिथि का विस्तृत परिचय दिया.
इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. वीरेन्द्र कुमार स्वर्णकार ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह एवं शाॅल भेंट कर सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन डाॅ. निशा गोस्वामी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. समन सिद्धिकी ने किया. इस अवसर पर डाॅ. स्वाती पाण्डेय, डाॅ. सुमन बालियान, डाॅ. एस.के. ताम्रकर, डाॅ. भावना जंघेल, डाॅ. संचीता चटर्जी, डाॅ. गुरु सरन लाल, श्रीमती किरन गौतम, डाॅ. गजेन्द्र साहू, डाॅ. रोहित वर्मा सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे.
इस कार्यशाला विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुशील चंद्राकर, कुलपति डाॅ. एस. के. पाठक और कुलसचिव डॉ. वीरेंद्र कुमार स्वर्णकार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ.