भिलाई। अधेड़ उम्र की एक महिला किडनी स्टोन का इलाज कराने के लिए पहुंची थी. महिला रक्ताल्पता का शिकार थी. उसे मल के साथ खून जा रहा था. मरीज के पैरों में काफी सूजन था. जांच करने पर पता चला कि उसे पेट का अल्सर था जिसके कारण ग्रहणी पूरी बंद हो गयी थी. दूरबीन पद्धति से जेजुनोस्टोमी कर उसकी छोटी आंत में एक फीडिंग ट्यूब को सरकाया गया. आरोग्यम सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के संचालक डॉ नवीन राम दारूका ने बताया कि लगभग 50 साल की करुणा सिंह ठाकुर किडनी स्टोन की सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंची थी. पर जब उसने अपने और लक्षणों की जानकारी दी तो उसकी पूरी जांच की गई. UGIE (upper gastrointestinal tract endoscopy) में पता चला कि उसकी ग्रहणी में घाव बन गया था. यहीं से होकर आमाशय का भोजन छोटी आंत में जाता है. इसके कारण कमजोरी आती है. साथ ही घाव से हो रहे रक्तस्राव के कारण मरीज में खून की कमी भी हो रही थी. ऐसे घाव की अनदेखी करने पर वह कैंसर में तब्दील हो सकता है.
सबसे पहले दूरबीन पद्धति से महिला की जेजुनोस्टोमी की गई. इस प्रोसीजर के द्वारा एक फीडिंग ट्यूब छोटी आंत में डाला जाता है ताकि भोजन पाचन तंत्र में जा सके. इसके बाद अल्सर का इलाज शुरू किया गया. महिला की हालत में तेजी से सुधार हुआ. अंतड़ियों से खून का रिसाव बंद हुआ तो महिला का साधारण स्वास्थ्य भी अच्छा हो गया.
इसके बाद महिला के किडनी स्टोन्स को निकालने के लिए परक्यूटेनस नेफ्रोलिथोटोमी Percutaneous nephrolithotomy (PCNL) की गई. इसमें पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर उन्हें बाहर निकाला जाता है.