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साईंस कालेज दुर्ग में संस्कृत सम्भाषण शिविर का निःशुल्क आयोजन

May 23, 2023
Sanskrit workshop in Science College

दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के द्वारा निःशुल्क संस्कृत सम्भाषण शिविर का आयोजन 22 से 31 मई के बीच किया जा रहा है. किसी भी आयु वर्ग के प्रतिभागी शिविर में शामिल हो सकते हैं. प्राचार्य डॉ आरएन सिंह की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से यह कार्यक्रम दुर्ग क्षेत्र के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए विशेष रूप से आयोजित है, जिसमें विद्वान् प्रशिक्षकों द्वारा सरल ढंग से संस्कृत बोलना सिखाया जायेगा.
सम्भाषण शिविर के उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ. अभिनेष सुराना ने संस्कृत की महत्ता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को बताया कि संस्कृत सबसे प्राचीन तथा वैज्ञानिक भाषा है. हम सबको गर्व होना चाहिए कि विष्व की सबसे प्राचीन पुस्तक संस्कृत साहित्य का ग्रंथ ऋग्वेद है. हमें अपनी इस विरासत को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए और उसमें उपलब्ध ज्ञान राषि को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए.
विषय विशेषज्ञ के रूप में पहुंचे संस्कृत महाविद्यालय, रायपुर के विद्वान प्राध्यापक डाॅ. बहुरनसिंह पटेल ने संस्कृत भाषा में धारा प्रवाह बोलते हुए संस्कृत को ज्ञान-विज्ञान की भाषा बताया. उन्होंने कहा कि न केवल संस्कृत योग एवं आयुर्वेद की भाषा है, अपितु संस्कृत में रसायन शास्त्र, खगोल विद्या, भूगोल विद्या, नक्षत्र विद्या, भौतिक शास्त्र, वनस्पति शास्त्र तथा ऐसी अनेक विद्यायें संस्कृत साहित्य में विद्यमान है। बस हमें उन विद्याओं को आधुनिक षिक्षा के साथ उपलब्ध कराना है. आज बी.ए.एम.एस. का विद्यार्थी चरक संहिता, सुश्रुत संहिता के कुछ अंष तो पढ़ता है, परंतु लोगों को यह नहीं पता कि ये सभी ग्रंथ संस्कृत साहित्य के ही महत्वपूर्ण अंश है. इसी प्रकार प्रत्येक विद्या संस्कृत ग्रंथों में विद्यमान ज्ञान राशि से निःसृत है। कार्यक्रम में शासकीय इंदिरा गांधी महाविद्यालय, वैशाली नगर के प्रोफेसर महेश कुमार अलेन्द्र ने संस्कृत के महत्व पर विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने संस्कृत का व्यवहार में उपयोग करने हेतु विद्यार्थियों को प्रेरित किया।
संस्कृत सम्भाषण शिविर के मुख्य प्रशिक्षक आचार्य रणजीत शास्त्री ने संस्कृत भाषा में ही अपनी बात रखते हुए संस्कृत की विशाल एवं समृध्द साहित्य परंपरा का उल्लेख किया। उन्होंने उसकी वैयाकरणिक वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला। महर्षि पाणिनि की अष्टाध्यायी पर विशेष टिप्पणी करते हुए उन्हें संस्कृत का जनक बताया। महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जनेन्द्र कुमार दीवान ने संस्कृत में संचालन करते हुए संस्कृत सम्भाषण षिविर के उद्देश्य एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला तथा संस्कृत के दस दिवसीय शिविर में सबका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों को सरल एवं मनोरंजक ढंग से संस्कृत सीखने का सुअवसर प्राप्त हुआ है, इसके लिए विद्यार्थियों को सजग रहकर गंभीरता से सीखने की आवश्यकता है. उन्होंने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन एवं आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में दुर्ग जिले से बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षिका ईश्वरी देवांगन, संध्या बघेल, खिलुदास, मोरध्वज, सतेक, प्रतिमा एवं रूपाली पटेल आदि का विशेष सहयोग रहा।

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