भिलाई। एमजे कॉलेज में आज इंफरमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी तथा साइबर सिक्योरिटी पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला को ब्लॉक इंक. अमेरिका के प्रिंसिपल सिक्योरिटी इंजीनियर अरिहंत विरुलकर एवं केके मोदी यूनिवर्सिटी दुर्ग में विज्ञान संकाय के एचओडी डॉ मोहम्मद बख्तावर अहमद ने संबोधित किया.
डॉ बख्तावर अहमद ने आईसीटी पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आने वाले वक्त मेटावर्स का होगा. यह एक ऐसा क्षेत्र है जो तेजी से विकास कर रहा है. यह एक अनोखी दुनिया है जहां एक गैजेट का उपयोग कर आप किसी भी स्थान पर पहुंच सकते हैं, अपने अवतार के माध्यम से मनचाहा काम कर सकते हैं. दोस्तों के साथ आउटिंग कर सकते हैं, देश विदेश की सैर कर सकते हैं, अपने पसंदीदा कलाकारों से बातें कर सकते हैं, उन्हें देख और सुन सकते हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, रील्स और यूट्यूब शार्ट्स से दुनिया अब ऊबने लगी है. आने वाला समय मेटावर्स का होगा. यह पूरी तरह से त्रि-आयामी तकनीक पर काम करता है.
उन्होंने बताया कि मेटावर्स आम लोगों को उनकी फंतासियों को जीने का मौका देगा. पर किसी भी आभासी दुनिया के साथ कुछ अच्छी बातें जुड़ी होती हैं तो इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. जिस तरह पब-जी खेलने की समय सीमा निर्धारित कर दी गई है, उसी तरह की पाबंदियों का सामना इसमें भी करना पड़ सकता है. पर फिलहाल तो यह क्षेत्र उड़ान भर रहा है जिसमें रोजगार के भी अच्छे अवसर हो सकते हैं.
दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अरिहंत विरुलकर ने इस चुनौती पूर्ण करियर के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि साइबर सिक्योरिटी को विकसित देश इंफो-सिक्योरिटी के नाम से बेहतर जानते हैं. बुनियादी तौर पर इसके तीन अंग होते हैं- कांफिडेंशियालिटी, इंटेग्रिटी और अवेलेबिलिटी. किसी भी सूचना पर अधिकार केवल भेजने और उसे प्राप्त करने वाले का होता है. प्रति सेकंड लाखों की संख्या में सूचनाएं दुनिया के इस कोने से उस कोने तक जा रही हैं. सूचना बिना रोकटोक के प्रेषिती तक पहुंचे यह इंफो-सेक की पहली जिम्मेदारी है. दूसरी जिम्मेदारी है सूचना की इंटेग्रिटी को बनाए रखना, अर्थात कोई उसे बीच में रोक कर उसके साथ छेड़छाड़ न कर सके, इसे भी सुनिश्चित करना होता है. तीसरी अहम जिम्मेदारी सूचना की उपलब्धता को बरकरार रखना है. इस क्षेत्र में आने के लिए अभ्यर्थी को कम्प्यूटर साइंस और गणित की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है.
उन्होंने बताया कि सुरक्षा की जरूरत सभी स्तरों पर पड़ती है. इसमें कम्प्यूटर डिवाइस, फाइल सिस्टम, डेटा एन्क्रिप्शन, सभी शामिल हैं. उन्होंने नेटवर्क स्निफर के बारे में भी विस्तार से बताया. विद्यार्थियों को आगाह करते हुए उन्होंने बताया कि आज आप कोई भी ऐप अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करते हैं तो वह पहले आपका फोन नंबर, आपका ईमेल एड्रेस, मैसेजेस, फोनबुक, कैमरा और ऑडियो तक पहुंच मांगता है. जल्दबाजी में आप ‘नेक्स्ट-नेक्स्ट’ करते चले जाते हैं और ऐप को वह तमाम अधिकार दे देते हैं जिनका इस्तेमाल करके वह आपकी निजता का हनन कर सकता है, आपको नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने बताया कि इससे आपकी प्रत्येक पसंद नापसंद, दिनचर्या, आपके मित्रों की पूरी जानकारी ऐसी कंपनियों के पास पहुंच जाती है. आज चीन के पास प्रत्येक भारतीय के बारे में भारीभरकम डाटा मौजूद है.
सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे स्वयं मोबाइल फोन का सीमित उपयोग करते हैं. अधिकांश काम लैपटाप या कम्प्यूटर पर करना पसंद करते हैं. अकारण वे किसी को अपना फोन नंबर तक नहीं देते.
आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि आज हर दूसरा काम ऐप के माध्यम से हो रहा है. ऐप इंस्टॉल करते समय हम उन्हें तमाम किस्म की अनुमतियां दे देते हैं. अधिकांश युवा तो देखते तक नहीं हैं कि वे किन बातों के लिए स्वीकृति या अनुमित दे रहे हैं. यह खतरनाक हो सकता है. आपकी ऐसी अनुमति ऐप प्रदाता को आपके फोन पर आए ओटीपी तक भी पहुंच प्रदान करती है. यह खतरनाक हो सकता है.
इस अवसर पर एमजे ग्रूप की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर, एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के प्राचार्य प्रो. डैनियल तमिल सेलवन, एमजे कालेज के प्रभारी प्राचार्य राहुल सिंह, शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया समित सभी फैकल्टी मेम्बर्स और विद्यार्थी बड़ी संख्या में मौजूद थे. मंच का संचालन मोनिका साहू ने किया.