भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के इको क्लब पल्लवन के तहत मिलेट्स पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन महाराष्ट्र मंडल सेक्टर 4 में किया गया. 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है. इसी संदर्भ में हमारे मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद पूर्णिमा सावरगांवकर ने बताया कि कौन-कौन से प्रकार के मिलेट्स होते हैं, स्वास्थ्य के लिए मिलेट्स की आवश्यकता क्यों है एवं इसे हम किस प्रकार से ग्रहण कर सकते हैं.
मिलेट्स अर्थात मोटा अनाज. मिलेट्स में ज्वार, बाजरा, रागी, अंगोरा, बैरी, कंगनी, कुटकी, जौ, आदि आते हैं. कोरोना के बाद मोटे अनाज इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं. इन्हें सुपर फूड भी कहा जाता है. मिलेट्स में भरपूर फाइबर और मिनरल होते हैं जो शरीर में प्रवेश करने वाले अनगिनत बीमारियों को रोकने में मददगार होते हैं. इनके सेवन से सभी आवश्यक पोषक तत्वों की कमी दूर हो जाती है. जितना शरीर को आवश्यक है उतना अवशोषित कर बाकी शरीर से बाहर निकल जाता है.
वर्तमान समय में हर एक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है और अपने आपको स्वस्थ रखने की दिशा में यथोचित कदम उठा रहे हैं. डॉ पूर्णिमा सावरगांवकर के द्वारा जनसामान्य के मन में उठने वाली शंकाओं का समाधान किया गया.
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अर्चना झा ने कहा कि हमारे महाविद्यालय में मिलेट्स लाइब्रेरी स्थापित की गई है जहां महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के अलावा जनसामान्य भी इनके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. मिलेट्स हर व्यक्ति के लिए लाभप्रद एवं उपयोगी है जिसे अपने भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए.
महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव ने मिलेट्स पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि व्यक्ति के खानपान में वह पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो रहा है जो उनके शरीर को आवश्यकता होती है. लेकिन मिलेट्स में वह सारे पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं जो शरीर को स्वस्थ बनाता है एवं विभिन्न बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है.
इस कार्यक्रम के संदर्भ में संयोजक डॉ संदीप जसवंत ने जानकारी दी कि महाविद्यालय द्वारा वर्ष भर मिलेट्स के उपयोगिता का प्रचार प्रसार करने के लिए इससे संबंधित बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इस कार्यक्रम में डॉ केजे मंडल, डॉ सोनिया बजाज, डॉ सुषमा दुबे, ठाकुर रणजीत सिंह, डॉ शिल्पा कुलकर्णी, डॉ लक्ष्मी वर्मा, उज्जवला भोंसले, रचना तिवारी एवं डॉ महेंद्र शर्मा के अलावा महाराष्ट्र मंडल के सदस्य तथा विभिन्न वर्ग एवं समुदाय के लगभग 80 लोग उपस्थित थे.