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किन्नरों के प्रति जागरूकता लाने में अग्रणी बना शंकराचार्य महाविद्यालय

Aug 24, 2023
3rd Gender Sensitization at SSMV

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ एवं समान अवसर सेल के संयुक्त तत्वाधान में 23 अगस्त को जागरूकता कार्यक्रम “नया आसमां” का आयोजन किया गया. शासकीय वीवायटी पीजी स्वायत्त कॉलेज दुर्ग से अवकाश प्राप्त पूर्व प्राध्यापक समाजशास्त्र डॉ सुचिता शर्मा एवं पत्रकार तथा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता कंचन सेंद्रे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं. किन्नर समुदाय से हसीना और साहिबा भी उपस्थित थीं.
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अर्चना झा ने बताया कि श्री शंकराचार्य महाविद्यालय समाज में व्याप्त लिंग भेदभाव एवं सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए एवं समाज में जागरूकता लाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है. कार्यक्रम प्रभारी डॉ लक्ष्मी वर्मा ने बताया कि यह आयोजन समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करता है. महाविद्यालय का उद्देश्य समाज को यह संदेश देना है कि जैसे महिला और पुरुष होते हैं वैसे ही ट्रांसजेंडर तृतीय लिंग भी होते हैं. ट्रांसजेंडर भी हमारे समाज का ही एक हिस्सा है और उन्हें भी समाज में समान अधिकार प्राप्त है. यह कार्यक्रम इस समुदाय को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास है.
इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्र-छात्राओं द्वारा नृत्य “पंख” का मंचन किया गया. इस नाटिका में मोहन से मोहिनी तक के सफर को दर्शाया गया है. किन्नर समुदाय के लोगों की जीवन शैली एवं उनकी भावनाओं और उनकी अपेक्षाओं को नाटिका के माध्यम से समाज तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है. सभी बाधाओं के बावजूद जीत हासिल करने वाले ट्रांसजेंडर्स की कहानियां अदम्य मानवीय भावना का प्रमाण है. उनकी सफलतांए हमें प्रेरित करती हैं कि इस प्रामाणिकता को छिपाया नहीं बल्कि इसका उत्सव मनाया जाना चाहिए. इसलिए हमें सहयोगी बनने का प्रयास करना चाहिए तथा उनके अनुभवों को जानकर उनके लिए आवाज बुलंद करें.
विशिष्ट अतिथि डॉ सुचिता शर्मा ने कहा कि किन्नर समुदाय विभिन्न प्रकार होते हैं जिन्हें हम भिन्न-भिन्न नाम से जानते हैं. ट्रांसजेंडर में होने वाले यौन डिस हार्माेनल ऑर्डर के विषय पर भी उन्होंने जानकारी दी. विशिष्ट अतिथि कंचन सेंद्रे जिन्हें वैक्सीन दीदी के नाम से भी जाना जाता है ने कहा कि किन्नरों को भिक्षा देने की बजाय काम देने की कोशिश करनी चाहिए. इस तरह की पहल के बिना किन्नर समुदाय का विकास होना मुश्किल है. तृतीय समुदाय के लोग भी भगवान की एक रचना है जिनपर आक्षेप करने की बजाय उन पर भरोसा करने की जरूरत है. वे हर कार्य को सफलतापूर्वक करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि श्री शंकराचार्य वह प्रथम महाविद्यालय है जिसने किन्नरों को मंच प्रदान किया और उनकी भावनाओं को सम्मानित किया. कार्यक्रम का अंत किन्नर हसीना द्वारा छत्तीसगढ़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति के साथ हुई.
अंत में महाविद्यालय के अकादमिक दिन डॉक्टर जी दुर्गा प्रसाद राव सर ने धन्यवाद ज्ञापन किया एवं महाविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ एवं समान अवसर सेल को कार्यक्रम की आयोजन के लिए बधाई दिया और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम के आयोजन की आशा जताई कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सुषमा दुबे के द्वारा किया गया।
श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ केजे मंडल, डॉ पूर्णिमा तिवारी, डॉ सीमा द्विवेदी, ज्योति मिश्रा, रुबी गुप्ता, हर्षा सिंह, उज्ज्वल भोसले ने कार्यक्रम के सफल संचालन में इनकी सराहनीय भूमिका रही. इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ उपस्थित थे.

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