अंडा, दुर्ग। शैलदेवी महाविद्यालय में 18 अगस्त को विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में होने वाली रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम तथा निवारण के उचित व प्रामाणिक जानकारी के संदर्भ में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य विद्यार्थियों को रैगिंग के द्वारा जो शारीरिक मानसिक चोट पहुंचाने का प्रयास किया जाता है उसकी उचित जानकारी प्रदान करना था।
इस कार्यक्रम में व्याख्यान हेतु क्रमशः शिक्षा विभाग की अध्यक्ष डॉ रजनी राय, योगिता नशीने सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग एवं श्यामसुंदर पटनायक सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग उपस्थित हुए। अन्य संकाय के शिक्षक भी इसमें सम्मिलित हुए। सभी संकाय में अध्ययनरत छात्र छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया और प्रताड़ना विरोधी कानून के संदर्भ में विस्तार से जाना।
डॉ रजनी राय ने रैगिंग के प्रकार समझते हुए बताया कि कैसे समाजविरोधी तत्व शिक्षा में शिक्षा के प्रभाव को दूषित करने के उद्देश्य शारीरिक मानसिक व बौद्धिक रूप से धर्म जाति रंग रूप वेशभुष आदि के आधार वरिष्ठ विद्यार्थियों के द्वारा कनिष्ठ विद्यार्थियों को प्रताड़ित करते है। योगिता नशीने ने रैगिंग के प्रभाव बताते हुए कहां की वरिष्ठ विद्यार्थियों की प्रताड़ना से परेशान होकर पीड़ित विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं और अपने जीवन लक्ष्य से चूक जाते हैं। रैगिंग के नकारात्मक प्रभाव से विद्यार्थी कई बार आत्महत्या या हत्या जैसे प्राणघातक कदम उठा लेते हैं जो अत्यंत दुखद एवम दंडनीय अपराध है।
श्यामसुंदर पटनायक ने रैगिंग के नकारात्मक प्रभाव से बचने हेतु कई ठोस एवं प्रभावशाली उपाय बताए जैसे समुचित विरोध करना, शिक्षक या प्राचार्य को समय पर सूचित करना, रैगिंग हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करना और एन्टी रैगिंग दल द्वारा ऐसे विद्यार्थियों पर सख्त करवाई करना, संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की जानकारी रखना, सदैव सजग, सावधान निडरता से परिस्थिति का सामना करना।
कार्यक्रम का संचालन बीएड तृतीय सेमेस्टर की छात्रा पूनम ने किया। और आभार आभिव्यक्ति रीना ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय के संचालक राजन दुबे के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।